चटकते पत्थर (एक संवेदनशील प्रेम और संघर्ष की कथा)
लेखक : विनोद कुमार झा राजस्थान की तपती धरती पर जब सूरज अपने सबसे निष्ठुर रूप में चमकता है, तो …
लेखक : विनोद कुमार झा राजस्थान की तपती धरती पर जब सूरज अपने सबसे निष्ठुर रूप में चमकता है, तो …
लेखक : विनोद कुमार झा दिल्ली की रातों में एक अजीब-सी ठंड उतर आई थी। हवा में नमी थी, और सड़कों …
लेखक: विनोद कुमार झा दिल्ली की वह शाम कुछ अलग थी। बरसात की बूंदें यूं बरस रही थीं जैसे किसी प…
लेखक: विनोद कुमार झा ज़िंदगी कभी-कभी उस मकड़ी के जाल जैसी लगती है जिसे हमने खुद ही बुना होता है …
लेखक : विनोद कुमार झा गांव चैनपुर की सुबहें हमेशा धीमी और सुकून भरी होती थीं। सूरज जब तालाब के…
विनोद कुमार झा बरसात की आख़िरी बूँदें अब थम चुकी थीं। आसमान के किनारों पर कहीं-कहीं धूप की लकी…
लेखक: विनोद कुमार झा गाँव की कच्ची पगडंडियों पर दौड़ते हुए सपनों के कदमों की आवाज़ अलग ही होती …
#मेहनत से कभी मत घबराना। जो भी काम करो, पूरी लगन से करो। हमेशा याद रखना, #प्रकृति से बड़ा कोई श…
- सच्चा प्रेम कभी #ख़त्म नहीं होता, वह स्मृतियों, #आँगन की दीवारों और हृदय की धड़कनों में हमेशा …
विनोद कुमार झा प्यार जब दिल की गहराइयों में उतरता है, तो वह सिर्फ खुशी नहीं देता बल्कि जुदाई …
विनोद कुमार झा भादो का महीना आते ही प्रकृति का स्वरूप बदल जाता है। सावन की रिमझिम बारिश के बाद …
लेखक: विनोद कुमार झा सुबह का सूरज खिड़की से झांक रहा था, लेकिन रवि की आँखों में रोशनी कम और धुंध…
लेखक: विनोद कुमार झा शहर की पुरानी गलियों में एक संकरी सी लेन थी, जहां दिन में भी धूप मुश्किल …
विनोद कुमार झा हवा में ताजगी थी, जैसे कोई नई शुरुआत की खुशबू। शहर के एक छोटे से मोहल्ले में चार…
विनोद कुमार झा जीवन एक खुली किताब की तरह होता है, जिसमें हर दिन एक नया पन्ना जुड़ता है। कुछ …
विनोद कुमार झा कभी-कभी एक मुस्कान की झलक, या होंठों पर खामोश लाली, किसी शहर की हर गली को रंगीन ब…
विनोद कुमार झा हर ईंट का इस्तेमाल दीवार बनाने में नहीं होता। कुछ ईंटें मंदिरों की नींव बनती …
विनोद कुमार झा हर किसी के भीतर एक सपना होता है कोई छोटा, कोई बड़ा। कुछ लोग सपनों को देखना छोड़ द…