कहानी

प्यार की अठखेलियां

विनोद कुमार झा कहते हैं प्यार अंधा होता है, और कभी-कभी इतना अंधा होता है कि वह सामान्य से हटकर ह…

कहानी: सरकते पल्लू

लेखक: विनोद कुमार झा शाम का धुंधलापन धीरे-धीरे पसर रहा था। हल्की ठंडी हवा सरसों के खेतों में ल…

#कहानी: हाथ की लकीर

विनोद कुमार झा आधुनिक युवा की हथेली पर खिंची लकीरें आज किस्मत नहीं, संघर्ष और विकल्पों का प्रतीक…

#तूफान के बीच पतवार

विनोद कुमार झा आकाश पर घिरे काले बादल, जैसे किसी अदृश्य क्रोध से भरे हों, बिजली की गूँज किसी च…

# कर्म की विजय

( एक प्रेरणादायक सामाजिक-आध्यात्मिक कथा) विनोद कुमार झा जब जीवन निराशा से घिर जाता है और भाग्य क…

#कहानी : उड़ते धूल

( एक आत्मसंघर्ष और सामाजिक सच्चाई से भरी कहानी) लेखक: विनोद कुमार झा धूल उड़ती है तो आँखें भर जा…

कहानी: बदलते विचार

विनोद कुमार झा ✍️ जीवन में सबसे मूल्यवान चीज़ क्या है? अक्सर इसका उत्तर होता है रिश्ते। रिश्त…

संतों की वाणी

विनोद कुमार झा ( अनुभव से उपजे वे शब्द जो आत्मा को दिशा देते हैं) जब शब्द आत्मा से निकलते हैं, त…

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