अनंत चतुर्दशी व्रत : चौदह गांठों का क्या है रहस्य?

विनोद कुमार झा

अनंत चतुर्दशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत में भगवान अनंत रूप की पूजा की जाती है। अनंत सूत्र, यानी कुश का बना पवित्र धागा, हाथ में धारण किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के करने से जीवन के सभी दुख और संकट दूर होकर, सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है। इसलिए इस दिन का धार्मिक महत्व और भी अधिक है।

अनंत चतुर्दशी पूजा सामग्री : पूजन हेतु आवश्यक सामग्री इस प्रकार है। भगवान विष्णु और गणेशजी की प्रतिमा या चित्र। कलश, जल और आम्रपत्र। रोली, मौली, हल्दी और चावल। पंचामृत यानी दूध, दही, शहद, घी और शक्कर। धूप, दीप, कपूर और अगरबत्ती। पुष्प, विशेषकर कमल, और तुलसी पत्र। ऋतु फल, सूखे मेवे और पंच मेवा। गंगाजल। मिठाई, विशेषकर गुड़ और चने का प्रसाद। अनंत सूत्र, कुश या रेशम का बना चौदह गांठों वाला धागा, हल्दी से रंगा हुआ। पान, सुपारी, लौंग और इलायची। पूजा की थाली और दीपक।

अनंत चतुर्दशी व्रत पूजा विधि : प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर या मंदिर में पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर, भगवान विष्णु और श्रीगणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। कलश स्थापना करें और आम्रपत्र तथा नारियल रखें।भगवान गणेश का पूजन कर सबसे पहले उनका आशीर्वाद लें।इसके बाद भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करें।भगवान को रोली, चावल, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। अनंत सूत्र में चौदह गांठें बांधकर, हल्दी से रंगें और पूजा करें। स्त्रियां इसे अपने बाएं हाथ की कलाई में बांधे और पुरुष दाहिने हाथ की कलाई में।

व्रती इस दिन व्रत कथा का श्रवण करता है और संकल्प लेता है कि अगले चौदह वर्षों तक यह व्रत नियमित रूप से करुंगा। अंत में आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

व्रत का फल : अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से घर परिवार में सुख शांति आती है। घर में धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। संकट और कष्ट दूर होते हैं। व्रती को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत के प्रभाव से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा : प्राचीन काल में एक धर्मात्मा ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे। ब्राह्मण ईमानदारी से जीवन यापन करता था। उसकी पत्नी भी धर्मपरायण और पतिव्रता थी।

एक बार उस ब्राह्मणी ने अनंत चतुर्दशी व्रत का संकल्प लिया। व्रत के दिन उसने श्रद्धा और भक्ति से भगवान विष्णु की पूजा की और पति की कलाई में अनंत सूत्र बांधकर कहा। “इस व्रत के प्रभाव से हमारे जीवन में सदैव सुख और समृद्धि बनी रहेगी।” कुछ ही दिनों बाद ब्राह्मण का जीवन बदल गया। घर में धन धान्य की वृद्धि होने लगी। कार्यों में सफलता मिलने लगी। हर ओर सुख और शांति का वातावरण छा गया।

परंतु धीरे-धीरे ब्राह्मण के मन में घमंड आ गया। उसने कहा। “ये सब मेरे पुरुषार्थ और परिश्रम का फल है, किसी सूत्र या व्रत का नहीं।”क्रोध में आकर उसने कलाई पर बंधा अनंत सूत्र उतारकर जला दिया। ज्योंही उसने अनंत सूत्र जलाया, उसकी जीवन-स्थितियाँ बदलने लगीं। घर की समृद्धि नष्ट हो गई। धन समाप्त हो गया। पारिवारिक कलह बढ़ने लगा। वह निर्धन और दुखी हो गया।

तब उसकी पत्नी ने समझाया। “यह सब तुम्हारे द्वारा अनंत सूत्र का अपमान करने के कारण हुआ है। भगवान अनंत ही हमारे जीवन की रक्षा करते हैं।” ब्राह्मण को अपनी गलती का एहसास हुआ। वह पश्चाताप करते हुए पुनः व्रत करने का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की शरण में गया। उसने श्रद्धा और विनम्रता से अनंत चतुर्दशी व्रत किया और चौदह वर्षों तक निरंतर इस व्रत का पालन करने का वचन लिया।

भगवान विष्णु उसकी भक्ति और प्रायश्चित से प्रसन्न हुए और पुनः उसे धन, वैभव और सुख-समृद्धि प्रदान की। तब से यह मान्यता बन गई कि अनंत चतुर्दशी व्रत को चौदह वर्षों तक निरंतर करने से जीवन के सभी संकट मिट जाते हैं और अनंत सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन बांधा गया सूत्र केवल एक धागा नहीं, बल्कि भगवान विष्णु का अनंत आशीर्वाद माना जाता है।

अनंत सूत्र की 14 गांठों का रहस्य : ये गांठें चौदह लोकों का प्रतीक हैं। ये धर्म के चौदह अंगों जैसे दया, क्षमा, शांति, सत्य, अहिंसा और प्रेम की स्मृति दिलाती हैं। ये गांठें मनुष्य जीवन को अनुशासित करने वाले चौदह संकल्पों की प्रतीक हैं। ये भगवान श्रीराम के चौदह वर्षों के वनवास की स्मृति कराती हैं। इससे धैर्य और सहनशीलता का संदेश मिलता है। ये भगवान विष्णु के अनंत स्वरूपों का संकेत मानी जाती हैं।

आध्यात्मिक महत्व : अनंत सूत्र को बांधने से व्रती को अदृश्य शक्ति का संरक्षण मिलता है। चौदह गांठें संसार के बंधनों को बांधने और भक्ति मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।

अनंत सूत्र को भगवान विष्णु का आशीर्वाद स्वरूप माना जाता है। इससे परिवार में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। यह सूत्र अनंत काल का प्रतीक है। यह संदेश देता है कि भगवान अनंत हैं, उनका कोई आरंभ और कोई अंत नहीं है। यह सूत्र व्रती और उसके परिवार को नकारात्मक शक्तियों से बचाने वाला आध्यात्मिक कवच है।

अनंत सूत्र की चौदह गांठें केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं हैं। यह जीवन के हर पहलू का प्रतीक हैं। यह संदेश देती हैं कि जैसे भगवान विष्णु अनंत हैं, वैसे ही उनकी कृपा भी अनंत है। यदि श्रद्धा और भक्ति से इसे धारण किया जाए, तो यह सूत्र व्रती को धर्म, सत्य और समर्पण के मार्ग पर स्थिर बनाता है।



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