नेपाल में लोकतंत्र की नई सुबह और भारत की भूमिका

नेपाल इन दिनों एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है। नवनियुक्त प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार देश को स्थिरता और लोकतांत्रिक व्यवस्था की दिशा में ले जाने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रही है। प्रधानमंत्री कार्की की पहली विदेशी वार्ता भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से होना अपने आप में इस बात का प्रतीक है कि नेपाल अपनी विदेश नीति में भारत को सबसे विश्वसनीय पड़ोसी और साझेदार मानता है। प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल में शांति बहाली और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती देने के हर प्रयास में भारत के सहयोग का भरोसा दिया है। नेपाल के राजनीतिक इतिहास में ऐसे कई उतार-चढ़ाव आए हैं जब भारत ने न केवल नैतिक बल्कि व्यावहारिक सहयोग भी दिया। आज जब नेपाल 5 मार्च को होने वाले संसदीय चुनावों की तैयारी में जुटा है, तब भारत का यह समर्थन नेपाल के लोकतांत्रिक भविष्य के लिए प्रेरणादायी है।

प्रधानमंत्री कार्की ने साफ कर दिया है कि उनकी अंतरिम सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता स्वतंत्र, निष्पक्ष और समयबद्ध चुनाव कराना है। यह घोषणा न केवल नेपाल के युवाओं की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती है, बल्कि एक जवाबदेह और भ्रष्टाचार मुक्त शासन की दिशा में उठाया गया निर्णायक कदम भी है। हाल के वर्षों में नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता, अविश्वास और आंतरिक खींचतान ने आम जनता की उम्मीदों को तोड़ा है। ऐसे में पारदर्शी चुनाव ही वह रास्ता है, जिससे लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होंगी। यह भी उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री कार्की ने चीन और अमेरिका के राजदूतों से भी मुलाकात की। इससे स्पष्ट है कि नेपाल संतुलित कूटनीति अपनाते हुए बहुपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाना चाहता है। नेपाल का "वन चाइना पॉलिसी" के समर्थन का दोहराव और अमेरिका का नेपाल में शांति व विकास के प्रति भरोसा जताना, दोनों ही इस बात की ओर इशारा करते हैं कि वैश्विक शक्तियां नेपाल की स्थिरता को क्षेत्रीय शांति के लिए आवश्यक मानती हैं।

भारत के लिए नेपाल केवल एक पड़ोसी देश नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक रिश्तों का अभिन्न साथी है। गहरी सामाजिक-सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े ये संबंध दोनों देशों को स्वाभाविक सहयोगी बनाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना कि "नेपाल के महत्वपूर्ण पलों में भारत मजबूती से साथ देगा", इस रिश्ते को और भी दृढ़ करता है ।नेपाल का आगामी चुनाव न केवल उसके भविष्य की दिशा तय करेगा, बल्कि दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय स्थिरता और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए भी एक परीक्षा होगी। यह अवसर है कि नेपाल अपनी राजनीतिक व्यवस्था को मजबूत करे और जनता का विश्वास वापस जीते। भारत को चाहिए कि वह नेपाल के इन प्रयासों में न केवल कूटनीतिक बल्कि आर्थिक और सामाजिक सहयोग भी बढ़ाए। स्थिर और लोकतांत्रिक नेपाल, भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय सामंजस्य दोनों के लिए आवश्यक है। नेपाल लोकतंत्र की नई सुबह की ओर बढ़ रहा है और भारत उसके साथ एक मज़बूत सहयात्री के रूप में खड़ा है। यह पड़ोसी रिश्ते की परिभाषा को और भी प्रासंगिक बनाता है।

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