कहानी बनती नहीं, बनाई जाती है!

  विनोद कुमार झा

जीवन एक खुली किताब की तरह होता है, जिसमें हर दिन एक नया पन्ना जुड़ता है। कुछ पन्ने उजले होते हैं, कुछ धुंधले, कुछ पन्नों में आँसू सूख चुके होते हैं, तो कुछ में हँसी की रेखाएं खिंची होती हैं। लेकिन इन पन्नों में जो एक बात सबसे महत्वपूर्ण होती है, वह यह कि ये अपने आप नहीं लिखते जाते, इन्हें हमें खुद लिखना पड़ता है। इसलिए कहा गया है “कहानी बनती नहीं, बनाई जाती है।”

कई बार लोग यह मान बैठते हैं कि जो होना है, वह होकर रहेगा। किस्मत पहले से तय है। लेकिन हकीकत यह है कि किस्मत सिर्फ एक आधार हो सकती है, इमारत तो आपको खुद बनानी पड़ती है। एक साधारण किसान से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक, एक झोपड़ी में पले-बढ़े बच्चे से लेकर अंतरिक्ष तक पहुँचने वाले वैज्ञानिक तक सभी ने अपनी कहानी खुद बनाई है। वे सब खाली कागज़ लेकर निकले थे, लेकिन अपने साहस, संकल्प और श्रम से उन्होंने ऐसे शब्द जोड़े कि आज वे एक मिसाल हैं।

कोई भी कहानी संघर्ष से अछूती नहीं होती। यदि आपके जीवन में समस्याएं हैं, तो समझ लीजिए कि आपकी कहानी का नायक बनना तय है। संघर्ष ही वह स्याही है जिससे महान कथाएँ लिखी जाती हैं।
महात्मा गांधी की कहानी सत्य और अहिंसा की कलम से लिखी गई, तो भगत सिंह की कहानी बलिदान और साहस से रची गई। कल्पना चावला, मिल्खा सिंह, पी.वी. सिंधु, सुनील छेत्री, सुधा मूर्ति इन सबकी कहानियाँ कहीं न कहीं इस बात की पुष्टि करती हैं कि जब इंसान अपने सपनों पर विश्वास करता है, तो कहानी सिर्फ बनती नहीं, गढ़ी जाती है।

आपके जीवन में कैसी भी परिस्थितियाँ क्यों न हों, आपकी सोच और निर्णय ही तय करते हैं कि आपकी कहानी कौन-सा मोड़ लेगी। कई बार बेहद कठिन समय में लिया गया एक छोटा सा निर्णय भविष्य की दिशा बदल देता है।
दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार एलन मस्क, एक समय पूरी तरह कर्ज में डूबे थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आज उनकी कहानी लाखों युवाओं को प्रेरणा देती है।

कहानी गढ़ने के लिए सिर्फ कलम और कागज़ नहीं चाहिए, आत्मा में जज़्बा चाहिए। हर इंसान के पास अपने अनुभव होते हैं, अपनी असफलताएँ होती हैं, अपनी छोटी-छोटी जीतें होती हैं जो मिलकर एक बड़ी कहानी बनाते हैं। जरूरी नहीं कि वह कहानी दुनियाभर में प्रसिद्ध हो, लेकिन यदि उसने किसी एक जीवन को भी छू लिया, प्रेरित कर दिया, तो वह सार्थक है।

कभी-कभी जब हम हार मान लेते हैं, तो कहानी अधूरी रह जाती है। लेकिन जिसने अपने जीवन की कहानी को अंत तक जिया, वही उसका सच्चा रचयिता कहलाता है। धीरज, मेहनत, और उम्मीद ये तीन सूत्र हैं, जो हर कहानी को विशेष बनाते हैं।
तो अगर आज आप कठिनाई में हैं, टूटे हुए हैं, दिशा भटके हुए हैं तो घबराइए मत। यह बस आपकी कहानी का एक मोड़ है, जहाँ से आगे एक नया अध्याय शुरू हो सकता है।

दुनिया में बहुत सी कहानियाँ हैं कुछ बनी हैं, कुछ बनाई गई हैं। लेकिन सबसे मूल्यवान वही होती है, जो किसी ने अपने जीवन के हर कतरे से तराशी हो, अपनी नींदों को त्यागकर, अपने आँसुओं को पोंछकर, हर हार को सबक बनाकर लिखी हो।

तो आप भी उठिए, अपने जीवन की कहानी खुद लिखिए क्योंकि कहानी बनती नहीं, बनाई जाती है।

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