भारतीय किसान यूनियन (भानु) के आंदोलन के आगे झुका प्रशासन, बदनौली समिति का चुनाव स्थगित

आबिद हुसैन खबर मार्निंग

हापुड़। जिले की सहकारी समितियों के चुनावों में बड़ा मोड़ तब आया जब भारतीय किसान यूनियन (भानु) के नेतृत्व में किसानों के तीन दिन चले धरने-प्रदर्शन के बाद प्रशासन को झुकना पड़ा। बदनौली सहकारी समिति के चुनाव में मतदाता सूची से सैकड़ों किसानों के नाम गायब पाए जाने पर हंगामा खड़ा हो गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए चुनाव अधिकारी ने गुरुवार को बदनौली समिति के चुनाव को स्थगित करने की घोषणा कर दी।

यूनियन के युवा जिला अध्यक्ष श्री रितिक त्यागी की अगुवाई में किसानों ने जिला मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक सभी पात्र किसानों के नाम मतदाता सूची में नहीं जोड़े जाते, चुनाव प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा।

प्रशासन ने माना संवेदनशीलता, चुनाव अधिकारी ने किया स्थगन का ऐलान: किसानों की मांगों को लेकर जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी ने चुनाव अधिकारी से आपात बैठक की। स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए चुनाव अधिकारी ने बदनौली समिति का चुनाव स्थगित कर दिया। नई तिथि की घोषणा बाद में की जाएगी।

बारिश भी नहीं रोक सकी नामांकन की प्रक्रिया : गुरुवार सुबह से लगातार हो रही बारिश के बावजूद चुनाव प्रक्रिया में लगे अधिकारी अपने-अपने केंद्रों पर डटे रहे। किसानों ने भी मौसम की परवाह किए बिना बढ़-चढ़कर भाग लिया। शाम पांच बजे तक जिले की 21 सहकारी समितियों में नामांकन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। इनमें 9 पी-पैक्स समितियों पर कुल 170 नामांकन पत्र दाखिल हुए।

आज होगी नामांकन पत्रों की जांच : चुनाव अधिकारी एआर प्रेम शंकर ने बताया कि शुक्रवार को नामांकन पत्रों की जांच व वापसी की प्रक्रिया की जाएगी। शेष 12 समितियों की नामांकन रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

किसान संगठनों ने उठाए सवाल : भारतीय किसान यूनियन (भानु) के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र त्यागी और गिरीश त्यागी ने बताया कि उन्होंने बुधवार को ही मतदाता सूची में गड़बड़ियों की शिकायत की थी। लेकिन प्रशासन द्वारा समय पर कोई कार्रवाई न किए जाने से किसानों में भारी आक्रोश व्याप्त हुआ, जिससे यह विरोध और तीव्र हुआ।

यूनियन की सख्ती लाई रंग :  युवा जिला अध्यक्ष रितिक त्यागी के नेतृत्व में किसानों का यह आंदोलन प्रशासन पर भारी पड़ा। तीन दिनों तक शांतिपूर्वक धरना देने के बाद आखिरकार उनकी मांगें सुनी गईं और चुनाव निरस्त कर दिया गया। यह घटनाक्रम क्षेत्रीय राजनीति में किसान संगठनों की बढ़ती भूमिका और जनशक्ति के महत्व को एक बार फिर रेखांकित करता है।


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