विनोद कुमार झा
भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन इस वर्ष 9 अगस्त 2025, शनिवार को बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। इस अवसर पर बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और रक्षा की कामना करते हुए उसके हाथ में रक्षा-सूत्र (राखी) बांधती हैं। इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन पंचांग के अनुसार कुछ खास योग बन रहे हैं, जिनके कारण राखी बांधने का समय और भद्रा काल को लेकर विशेष सावधानी बरतनी होगी।
रक्षाबंधन 2025: शुभ मुहूर्त : विभिन्न हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को रात 03:05 बजे से प्रारंभ होकर 9 अगस्त को रात 11:55 बजे तक रहेगी। हालांकि रक्षाबंधन पर्व 9 अगस्त को मनाया जाएगा क्योंकि पूर्णिमा तिथि उस दिन सूर्योदय के साथ प्रभावी रहेगी।
राखी बांधने का शुभ समय: दोपहर 01:42 बजे से रात्रि 08:52 बजे तक (भद्रा समाप्ति के बाद) भद्रा काल: सुबह 05:22 बजे से दोपहर 01:42 बजे तक।
रक्षा बंधन पर्व का पर्वकाल: 01:42 बजे से 08:52 बजे तक।
भद्रा काल में क्यों नहीं बांधते राखी?
हिंदू धर्म में भद्रा काल को अशुभ और विघ्नकारी समय माना गया है। शास्त्रों के अनुसार भद्रा, शनि देव की बहन है और इसका स्वभाव उग्र और प्रतिकूल माना जाता है। यदि कोई भी शुभ कार्य, जैसे कि विवाह, यज्ञ, या रक्षाबंधन जैसे पर्व, भद्रा काल में किए जाएं तो उसका फल प्रतिकूल या निष्फल हो सकता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार भगवान श्रीराम के काल में रावण की बहन शूर्पणखा ने भद्रा काल में रावण की रक्षा के लिए रक्षा-सूत्र बांधा था, लेकिन कुछ ही समय बाद रावण का विनाश हो गया। तभी से यह परंपरा बन गई कि भद्रा काल में कोई भी रक्षा-सूत्र या शुभ कार्य नहीं किया जाता।
रक्षाबंधन केवल एक पर्व नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग है। यह पर्व न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती देता है, बल्कि समाज में प्रेम, एकता और रक्षा की भावना को भी बढ़ावा देता है। आजकल की बदलती जीवनशैली और व्यस्तताओं के बीच यह पर्व एक अवसर देता है जब परिवार एक साथ बैठकर आत्मीयता का अनुभव कर सके।
कैसे मनाएं रक्षाबंधन?
1. सुबह स्नान कर के पूजा की तैयारी करें।
2. भद्रा काल समाप्त होने के बाद भाई को तिलक कर, आरती उतारें और राखी बांधें।
3. मिठाई खिलाकर भाई की लंबी उम्र की कामना करें।
4. भाई बहन को उपहार देकर उसका सम्मान करें।
विशेष सुझाव: यदि किसी कारणवश भद्रा काल में ही राखी बांधनी पड़े तो भगवान गणेश और हनुमान जी का स्मरण कर विशेष प्रार्थना करें। लेकिन यथासंभव शुभ मुहूर्त में ही राखी बांधें ताकि पर्व का संपूर्ण फल प्राप्त हो।
रक्षाबंधन का पर्व सिर्फ धागों का बंधन नहीं, भावनाओं की डोर है। यह पर्व हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है, और यह याद दिलाता है कि हम चाहे जितने भी आधुनिक क्यों न हो जाएं, रिश्तों की मिठास ही हमारे जीवन को सुंदर बनाती है। इस वर्ष उचित मुहूर्त में राखी बांधकर अपने रिश्तों को और मजबूत बनाएं।
आप सभी पठक बंधुओं को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं!