-10वीं बोर्ड परीक्षा में अच्छे परिणाम के लिए ऐसे करें तैयारी
-बोर्ड परीक्षा सिर्फ नंबर नहीं देती, भविष्य की नींव रखती है
-सफलता किताबों में नहीं, पढ़ने के तरीके में है
-मेहनत करने वालों को कोई नहीं रोक सकता
विनोद कुमार झा
हर बच्चे की ज़िंदगी में दसवीं की परीक्षा एक ऐसा मोड़ होती है, जहाँ से उनका भविष्य तय होने लगता है। गाँव हो या शहर, सरकारी स्कूल हो या प्राइवेट हर छात्र के दिल में दसवीं की परीक्षा को लेकर एक अलग ही डर और महत्व होता है। ऐसी ही एक प्रेरक कहानी है अंकित की, जो एक छोटे से गांव से निकलकर दसवीं की बोर्ड परीक्षा में प्रदेश में टॉप करने तक की यात्रा करता है। यह कहानी बताती है कि कैसे मेहनत, आत्मविश्वास और सही दिशा मिलकर किसी भी परीक्षा को जीत सकती है।
एक छोटा सा सपना : बिहार के मधुबनी जिले के एक छोटे से गांव खजौली में रहने वाला अंकित नाम का लड़का सरकारी स्कूल में पढ़ता था। उसका परिवार साधारण था। पिता रामचंद्र प्रसाद किसानी करते थे और मां सुशीला देवी गृहिणी थीं। घर में ज़्यादा साधन नहीं थे, लेकिन अंकित के सपने बहुत बड़े थे।
अंकित दसवीं कक्षा में था और अब बोर्ड परीक्षा पास आ रही थी। स्कूल में अध्यापक अकसर कहते , "बोर्ड परीक्षा सिर्फ नंबर नहीं देती, भविष्य की नींव रखती है।" अंकित को भी यह बात समझ में आ गई थी। उसने ठान लिया कि इस बार अपने गांव का नाम रोशन करेगा।
चुनौतियों की शुरुआत : अंकित के पास न तो कोचिंग थी, न गाइड बुक्स, और न ही स्मार्टफोन। उसके घर में बिजली भी कभी-कभी ही आती थी। फिर भी वह हार मानने वालों में नहीं था।
उसने अपने स्कूल के पुस्तकालय से पुराने पेपर इकट्ठा किए। एक पुरानी डायरी को उसने "स्टडी प्लानर" बना दिया और हर विषय के लिए टाइम टेबल बनाना शुरू किया।
सुबह 4 बजे उठकर गणित का अभ्यास करना।
दोपहर में विज्ञान के कांसेप्ट्स पढ़ना।
रात को सामाजिक विज्ञान और अंग्रेज़ी की तैयारी करना।
अंकित ने एक नियम बना लिया “हर दिन 6 घंटे खुद से पढ़ाई और हर हफ्ते खुद का टेस्ट।”
सही रणनीति से सफलता : अंकित को यह बात समझ में आ गई थी कि सिर्फ किताबी पढ़ाई काफी नहीं है। उसने 5 चीजें अपने अध्ययन में लागू कीं:
एनसीईआरटी को आधार बनाना: उसने सबसे पहले हर विषय की एनसीईआरटी किताबों को बार-बार पढ़ा और उसमें से हर चैप्टर के महत्वपूर्ण बिंदु को डायरी में लिखा।
पुराने प्रश्नपत्र हल करना: बोर्ड परीक्षा में पुराने प्रश्नपत्रों से प्रश्न दोहराए जाते हैं। उसने पिछले 5 वर्षों के पेपर्स को समय लेकर हल करना शुरू किया।
मॉक टेस्ट देना: घर पर ही एक बोर्ड की तरह माहौल बनाकर हर रविवार वह एक विषय का मॉक टेस्ट देता। खुद समय देखता और फिर खुद ही जांचता।
डाउट क्लियर करना: जो भी समझ में नहीं आता, वह स्कूल के टीचरों से अगले दिन जाकर पूछता। कभी-कभी वह अपने एक मित्र की मदद भी लेता जो पास के शहर में पढ़ता था।
स्वस्थ दिनचर्या और मेडिटेशन: सुबह उठकर 15 मिनट ध्यान करता, जिससे मन एकाग्र रहे। खानपान भी संतुलित रखता।
परीक्षा के नजदीक : अब फरवरी का महीना था और बोर्ड परीक्षा मात्र एक महीने दूर थी। गांव में शादी-ब्याह का माहौल था, लेकिन अंकित का ध्यान पूरी तरह से पढ़ाई पर था।
उसने रिवीजन का तरीका अपनाया: हर विषय के महत्वपूर्ण टॉपिक को दोहराना। स्वयं के बनाए नोट्स पढ़ना। मॉडल पेपर हल करना।
उसकी माँ उसकी थाली में खुद खाना परोसतीं और कहतीं ,"बाबू, तू दिन-रात मेहनत करता है। भगवान जरूर फल देंगे।"
परीक्षा का समय : मार्च में परीक्षा शुरू हुई। अंकित समय से पहले केंद्र पर पहुंचता, अपना रोल नंबर और प्रवेश पत्र पहले से देखता और मन में श्रीगणेश की प्रार्थना करता।
हर पेपर में उसने पूरा समय लिया और पहले प्रश्नपत्र पढ़ा, फिर उत्तर लिखे। उसने तीन गोल्डन रूल अपनाए: साफ-सुथरी हैंडराइटिंग लिखना, बिंदुवार उत्तर देना, समय का सही प्रबंधन करना। परीक्षा के बाद भी वह फोकस में रहा। रिज़ल्ट आने तक उसने ग्यारहवीं के विषयों की तैयारी शुरू कर दी।
परिणाम का दिन : जून के अंतिम सप्ताह में जब बोर्ड परीक्षा का परिणाम आया, तो अंकित के घर बिजली नहीं थी। वह स्कूल के शिक्षक के साथ प्रखंड कार्यालय गया। जब उसका परिणाम देखा गया, तो आंखों से खुशी के आँसू बहने लगे…अंकित ने 95.8% अंक प्राप्त किए थे और पूरे ज़िले में पहला स्थान पाया था। गांव मोहल्ले में मिठाई बँटी। स्कूल ने उसकी फोटो अखबार में छपवाई। जिलाधिकारी ने उसे सम्मानित किया।
अंकित की इस सफलता की कहानी पूरे ज़िले में मिसाल बन गई। लोग कहने लगे ,"अगर साधन नहीं हैं तो क्या, संकल्प हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं।" अंकित अब राज्य स्तर की छात्रवृत्ति के लिए चुना गया और आगे की पढ़ाई के लिए शहर चला गया।
वह गाँव के बच्चों को सप्ताह में एक दिन ऑनलाइन पढ़ाने भी लगा। वह कहता , “सफलता किताबों में नहीं, पढ़ने के तरीके में है। मेहनत करने वालों को कोई नहीं रोक सकता।”
आप भी अंकित बन सकते हैं। बस आज से शुरुआत करें। लक्ष्य तय करें। और पूरे मन से जुट जाएं। क्योंकि परीक्षा में अंक से ज़्यादा, आपकी मेहनत बोलती है।
Nice
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