विनोद कुमार झा
कई बार प्यार किसी दस्तक के साथ नहीं आता वो बस बरसने लगता है। जैसे अनायास आसमान से गिरती बारिश की बूंदें, जिनमें हम भीग जाते हैं चाहे छतरी हो या न हो। ऐसी ही एक प्रेम कथा है अन्वी और अनंत की। #एक शांत-सी लड़की जो किताबों में खोई रहती थी और एक बेफिक्र-सा लड़का जो बारिश में नाचने से कभी नहीं कतराता था। दोनों के दिलों में प्यार भी कुछ यूं ही बरसा था न अचानक, न धीरे-धीरे, बस एक सघन #बारिश की तरह, जिसे रोकना मुमकिन नहीं था।
जुलाई की शुरुआत थी आकाश में काले बादल मंडरा रहे थे। सड़कें चुपचाप बारिश के पहले संकेत की प्रतीक्षा कर रही थीं। अन्वी, जो कि कॉलेज की टॉपर थी, अपनी छत पर खड़ी हो कर बादलों को देख रही थी। #किताबें उसका संसार थीं, और बारिश उसका इश्क़। हर साल जब पहली बारिश होती, वह चाय के साथ अपनी डायरी में कुछ नई कविताएँ उकेरती।
उसी मोहल्ले में अनन्त नाम का एक लड़का रहता था संगीत में खोया रहने वाला, गिटार बजाता था और बारिश होते ही छत से नीचे भाग कर भीगने लगता। उसकी #हँसी बारिश से भी ज़्यादा खनकती थी। उस दिन भी ऐसा ही हुआ।
जैसे ही आसमान से पहली बूंदें टपकीं, अनंत छत से भागता हुआ नीचे आया, और पूरे मोहल्ले के बच्चों को लेकर नाचने लगा। लेकिन अन्वी... वो बस अपनी बालकनी से उसे देखती रही उसकी आंखों में एक अलग सी #चमक थी, शायद ये पहली बार था जब उसने किसी को बारिश से भी ज़्यादा खूबसूरत पाया था।
कॉलेज में अन्वी और अनंत की पहली मुलाक़ात लाइब्रेरी में हुई। अनंत गलती से शेक्सपियर की किताब लेने आया था, जबकि उसे ग़ालिब की शायरी ढूँढ़नी थी। अन्वी ने उसे सही किताब निकाल कर दी और धीरे से मुस्कराई वही मुस्कान जो बारिश में उसके चेहरे पर तैरती थी।
“#तुम्हें बारिश पसंद है?” अनंत ने पूछा, अन्वी ने पलट कर जवाब दिया, “बारिश में ही सब धुलता है तकलीफ़ें, थकान और... कभी-कभी अकेलापन भी।” उस पल से दोनों के बीच एक नमी सी जुड़ गई थी, जो न तो बहुत भीगी हुई थी और न ही सूखी बस, एक एहसास थी।
कॉलेज के प्रोजेक्ट्स, लाइब्रेरी की बातें, और कैंटीन की अदरक वाली चाय ने धीरे-धीरे दोनों के बीच एक अदृश्य धागा बुनना शुरू कर दिया था। अन्वी की #कविताएँ अब अनंत की धुनों में ढलने लगी थीं, और अनंत की गिटार की ट्यूनिंग अन्वी की धड़कनों से मेल खाने लगी थी। एक शाम दोनों मरीन ड्राइव पर बैठे थे, जब अचानक बारिश शुरू हो गई। लोग इधर-उधर छिपने लगे, पर अन्वी और अनंत वहीं बैठे रहे।
अनंत ने अन्वी से कहा, “तुम्हें पता है, कुछ लोग बारिश से डरते हैं, क्योंकि वो उनके अंदर छिपे दर्द को बाहर ला देती है।” अन्वी ने उसकी ओर देखा और बोली, “और कुछ लोग बारिश में ही अपने प्यार को पहचानते हैं... #जैसे मैं अब पहचान पा रही हूँ।”अनंत ने कुछ नहीं कहा, बस अपना हाथ उसकी ओर बढ़ा दिया। उस एक पकड़ ने जैसे अनगिनत बारिशों की कहानी कह दी।
समय बीता। कॉलेज खत्म हुआ। अनंत को पुणे में एक म्यूज़िक प्रोजेक्ट मिल गया। अन्वी को दिल्ली में एक प्रकाशन कंपनी में नौकरी मिल गई। दूरी आ गई। फोन कॉल्स कम होने लगे। वर्चुअल# प्यार असली ज़िंदगी की दौड़ में कहीं पीछे छूटने लगा। एक दिन अन्वी ने अपनी डायरी में लिखा:"तुम दूर हो, पर जब बारिश होती है तो तुम्हारा नाम मेरे होंठों पर भीगने लगता है।" पर यही नहीं कि प्यार मर गया था। बस वो एक कोने में बैठा, बारिश के लौटने का इंतज़ार कर रहा था।
दो साल बाद, एक जुलाई की सुबह मुंबई फिर भीगने लगी। अन्वी किसी मीटिंग के लिए शहर आई थी। बारिश शुरू होते ही उसका मन अजीब-सा होने लगा। उसे लगा जैसे कोई पुकार रहा हो। वो बिना सोचे मरीन #ड्राइव पहुंची वही बेंच, वही समंदर, वही बारिश। और... वही अनंत वहाँ बैठा था, भीगा हुआ, हाथों में वही गिटार लिए। “मुझे लगा तुम अब कभी नहीं आओगी...” अनंतने कहा। अन्वी ने मुस्कराकर जवाब दिया, “बारिश जब वापस आती है, तो सब कुछ धो देती है यहाँ तक कि पुराने गिले-शिकवे भी।”
अनंत ने गिटार उठाया और एक नई धुन छेड़ी एक धुन, जो सिर्फ अन्वी के लिए थी। संगीत और बारिश साथ बरसने लगे। लोगों की भीड़ के बीच दो रूहें फिर से जुड़ गईं। उस दिन न सिर्फ बारिश हुई, बल्कि दो टूटे दिलों की सिलाई भी।
अब जब भी बारिश होती है, अन्वी और आरव एक साथ छत पर खड़े होकर पुराने दिनों की यादों में भीगते हैं। उनके लिए बारिश अब सिर्फ मौसम नहीं, बल्कि एक रिश्ता है। प्यार की बारिश एक कहानी जो दिखाती है कि सच्चा प्यार लौटता है। चाहे वक्त लगे, चाहे फासले हों अगर प्यार असली हो, तो एक न एक दिन वो बारिश बनकर बरसता है, और फिर दोनों को एक साथ भिगो देता है।