विनोद कुमार झा
अति प्राचीन काल में विजयगढ़ नाम का एक राज्य था। इस राज्य का राजा रघु था। राजा रघु को लोग बहुत मानते थे, क्योंकि वह न्यायप्रिय था, वीर था, और प्रजा की रक्षा करता था। विजयगढ़ के पास एक घना जंगल था। इस जंगल का नाम कालवन था। लोग कहते थे कि इस जंगल पर एक श्राप लगा है। जो भी अंदर जाता है, वह सुरक्षित वापस नहीं लौटता।
एक दिन राजा रघु का विवाह तय हुआ। राजकुमारी मृणालिनी ने स्वयंवर में रघु को चुन लिया। पूरे राज्य में उत्सव की तैयारी शुरू हो गई। विवाह से एक रात पहले, एक दूत राजा के पास आया। दूत बोला, “महाराज, देवऋषि अगस्त्य ने आपको तुरंत कालवन में बुलाया है। यह बहुत आवश्यक और गुप्त काम है।”राजा रघु ने किसी को कुछ बताए बिना, रात में ही कालवन की ओर प्रस्थान कर दिया। जंगल में अंदर पहुँचकर राजा ने देवऋषि अगस्त्य को देखा। उनके चेहरे पर चिंता थी।
ऋषि बोले, “रघु, तुम्हारे विवाह वाले दिन एक भयंकर शक्ति जागने वाली है। यह शक्ति तुम्हारे राज्य को नष्ट कर देगी। इसे रोकने का तरीका है, पर उसकी कीमत बहुत बड़ी है। तुम्हें अपने सिर का त्याग करना होगा।” राजा कुछ क्षण के लिए शांत रहे, फिर बोले, “यदि मेरा बलिदान प्रजा को बचा सकता है, तो मैं तैयार हूँ।”
इधर महल में विवाह की तैयारी हो रही थी। राजकुमारी मृणालिनी मंडप में बैठी थीं। लोग इंतज़ार कर रहे थे कि राजा कब आएगा। तभी आकाश में काले बादल छा गए। हवा तेज़ हो गई। एक भयानक छाया मंडप पर उतरने लगी।
उधर, जंगल में राजा रघु एक विशाल वेदी के सामने खड़े थे। उनके सामने एक राक्षसी आत्मा प्रकट हुई। वह बोली, “आज विवाह के शुभ समय पर, मैं पूरे राज्य को निगल जाऊँगी। मुझे रोकने का एक ही तरीका है। किसी राजवंशी का सिर चाहिए।”
राजा रघु ने तलवार उठाई और बोले, “यदि सिर चाहिए, तो मेरा सिर लो। लेकिन मेरी प्रजा को मत छूना।”जैसे ही उन्होंने यह कहा, एक तेज़ प्रकाश फैला। देवऋषि के मंत्रों से राजा का सिर शरीर से अलग हो गया। पर उनके चेहरे पर शांति थी। श्राप टूट गया। राक्षसी शक्ति धुएँ की तरह गायब हो गई।
उसी समय विवाह मंडप में छाया काला बादल अचानक हट गया। लोग हैरान थे। देवऋषि वहाँ प्रकट हुए और बोले, “राजा रघु ने अपने राज्य की रक्षा के लिए अपना सिर बलिदान कर दिया।”राजकुमारी मृणालिनी बेहोश हो गईं। बाद में उन्होंने जीवन भर राजा रघु की स्मृति में प्रजा की सेवा करने का व्रत लिया।
समय बीत गया। राजा रघु की स्मृति में एक मंदिर बनाया गया। लोग कहते हैं कि जब किसी निर्दोष पर संकट आता है, तो रात में घोड़े की टापों की आवाज़ सुनाई देती है। लोग मानते हैं कि वह राजा रघु की आत्मा है, जो अभी भी राज्य की रक्षा करती है।
