सहरसा से खबर मार्निंग संवाददाता
चैनपुर। चैनपुर गांव में इस वर्ष दीपावली के अवसर पर आयोजित पारंपरिक काली पूजा मेला पर चुनावी आचार संहिता का असर साफ दिखाई दे रही है । हर साल की तरह इस बार भी ग्रामीणों ने आपसी सहमति, भाईचारा और हर्षोल्लास के साथ मेला का आयोजन तो किया, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर लागू आचार संहिता ने मेला के उत्साह को काफी हद तक कम कर दिया।
मेले के आयोजकों ने बताया कि इस बार मेला समिति ने पूरी तरह कानून के दायरे में रहकर कार्यक्रमों का आयोजन किया है। आगामी 6 नवंबर को होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रशासन की सख्ती और नियमों के पालन के तहत इस वर्ष कोई भी बड़ा सांस्कृतिक या मनोरंजन कार्यक्रम नहीं किया गया।
ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से काली पूजा मेला में झूला, नाटक, गीत-संगीत और तरह-तरह के आकर्षक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहा है, जिससे पूरे इलाके में उत्सव का माहौल बन जाता था। लेकिन इस बार आचार संहिता लागू होने के कारण मेला की रौनक फीकी पड़ गई।
इसके बावजूद ग्रामीणों ने शांति और परंपरा बनाए रखते हुए पूजा-अर्चना और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों को पूरी श्रद्धा के साथ संपन्न कराने में जुटे हुए हैं। मेला समिति ने बताया कि इस वर्ष भले ही कार्यक्रम सीमित रहे हों, लेकिन आस्था और भक्ति में किसी तरह की कमी नहीं रही।
“हमने प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए मेला को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने का प्रयास कर रहे है,” मेला समिति सदस्य ने कहा।
इस प्रकार, चैनपुर का प्राचीन काली पूजा मेला इस बार सादगी और संयम के साथ जारी है, लेकिन ग्रामीणों को उम्मीद है कि अगले वर्ष फिर से यह मेला अपनी पुरानी भव्यता और रौनक के साथ लौटेगा।