विनोद कुमार झा
सनातन परंपरा में दीपावली का पर्व अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, और उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीपों से पूरे नगर को आलोकित किया था। तभी से दीपावली का यह पर्व प्रकाश, विजय और समृद्धि का प्रतीक बन गया।
इस शुभ अवसर पर भक्तजन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, श्रीराम दरबार और कुबेर देवता की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि दीप प्रज्ज्वलन से घरों में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का वास होता है। शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन करने से धन, वैभव और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
दीपावली पूजन और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 55 मिनट तक रहेगी।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस बार 20 अक्टूबर को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या का संयोग बन रहा है, जो दीपावली पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
क्योंकि दीपावली रात्रि का पर्व है और इसका संबंध प्रदोष एवं निशीथ काल से होता है, इसलिए इस वर्ष दीपावली 20 अक्टूबर (सोमवार) को ही मनाई जाएगी।
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक (कुल पूजन काल: 1 घंटा 11 मिनट)
दीपावली के चौघड़िया मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त: दोपहर 03:44 बजे से 05:46 बजे तक।
सायाह्न मुहूर्त: शाम 05:46 बजे से 07:21 बजे तक।
रात्रि मुहूर्त: रात 10:31 बजे से 12:06 बजे तक।
उषाकाल मुहूर्त: तड़के सुबह 01:41 बजे से 06:26 बजे तक।
दीपावली न केवल एक त्योहार है, बल्कि यह अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और नकारात्मकता पर सकारात्मकता की विजय का प्रतीक है। इस दिन दीप जलाने से जीवन में नई ऊर्जा, नई दिशा और शुभता का आगमन होता है।
भक्तजन मां लक्ष्मी से घर में धन-समृद्धि और भगवान गणेश से बुद्धि एवं विवेक की कामना करते हैं। रात्रि में दीपक जलाकर घर, मंदिर और आंगन को सजाया जाता है, जिससे सम्पूर्ण वातावरण में आनंद और उल्लास का संचार होता है।
प्रकाश, श्रद्धा और समृद्धि के इस पर्व पर दीप जलाएं — दिलों में प्रेम और आस्था की ज्योति प्रज्ज्वलित करें।