यादों के झरोखे से : चैनपुर में दीपावली पर जगी रंगमंच की पुरानी यादें

 नीलकंठ कालिका नाट्य कला परिषद में गूंजा “जय मां काली, जय बाबा नीलकंठ” का स्वर

विनोद कुमार झा

चैनपुर। दीपावली का पर्व आते ही सहरसा जिले के चैनपुर गांव में रंगमंच की पुरानी यादें फिर से ताजा हो उठीं। गांव के लोग आज भी उस दौर को याद करते हैं जब कालिका नाट्य कला परिषद, चैनपुर का मंच लोगों की भीड़ से गूंज उठता था और दर्शक देर रात तक नाटक देखने उमड़ पड़ते थे।

इस मंच पर नाटक के प्रसिद्ध कलाकार सोहन झा को कौन भूल सकता है  जिनकी आवाज़ लगभग एक किलोमीटर दूर तक गूंजती थी। जब वे “रावण” का किरदार निभाते थे, तो उनकी गर्जना सुनते ही लोग समझ जाते कि “मुखिया जी” यानी सोहन झा मंच पर उतर आए हैं। उनकी दमदार संवाद अदायगी और भावपूर्ण अभिनय ने रंगमंच को नई पहचान दी थी।

आज जब दीपावली की तैयारियों के बीच कालिका नाट्य कला परिषद के मंच पर कोई नया कलाकार रावण की भूमिका निभाता है, तो गांव के बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक सबके जेहन में वही सुनहरी यादें दौड़ जाती हैं। लोग कहते हैं “अब भी जब कोई रावण बोलता है, तो लगता है जैसे सोहन झा की आवाज़ फिर से गूंज उठी हो।”

दीपावली के इस पावन अवसर पर मंच से जब “जय मां काली, जय बाबा नीलकंठ” का उद्घोष होता है, तो पूरा गांव श्रद्धा और उत्साह से भर जाता है। चैनपुर का यह रंगमंच सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि गांव की सांस्कृतिक धरोहर और पीढ़ियों को जोड़ने वाला सेतु बन चुका है।

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