विनोद कुमार झा
दीपों का पर्व दीपावली, जो हर वर्ष पांच दिनों तक मनाया जाता है, इस बार कुछ अलग और खास होने जा रहा है। आमतौर पर यह त्योहार धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है, लेकिन इस वर्ष पंचांग के अनुसार दीपावली का पर्व छह दिनों तक मनाया जाएगा। इसकी शुरुआत 18 अक्टूबर से धनतेरस के साथ होगी और समापन 23 अक्टूबर को भाई दूज के दिन होगा। इस बार लोगों के बीच सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि जब 20 अक्टूबर को दीपावली मनाई जा रही है, तो फिर छह दिनों का यह क्रम कैसे बना? दरअसल, इस वर्ष चंद्रमा की स्थिति, तिथियों के संयोग और अमावस्या के समय के चलते दीपावली का विस्तार एक दिन और बढ़ गया है।
त्योहारों का पूरा क्रम इस प्रकार है :
18 अक्टूबर – धनतेरस: दीपावली की शुरुआत धनतेरस से होती है। इस दिन लोग भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं और सोना, चांदी या बर्तन खरीदने की परंपरा निभाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन कुछ नया खरीदना शुभ होता है और पूरे वर्ष घर में समृद्धि बनी रहती है।
19 अक्टूबर – रूप चौदस या नरक चतुर्दशी: यह दिन शरीर और मन को पवित्र करने का प्रतीक माना जाता है। लोग इस दिन प्रातः स्नान कर तिल का उबटन लगाते हैं। कई जगह इसे छोटी दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है।
20 अक्टूबर – मुख्य दीपावली (लक्ष्मी पूजन): दीपों की जगमगाहट का यह सबसे प्रतीक्षित दिन है। अमावस्या तिथि में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस रात देवी लक्ष्मी घर-घर भ्रमण करती हैं और जहां सफाई, सच्चाई और श्रद्धा होती है, वहां स्थायी रूप से निवास करती हैं।
21 अक्टूबर – गोवर्धन पूजा (अन्नकूट): दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का आयोजन होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्र के अहंकार को तोड़ने और गोवर्धन पर्वत को उठाने की कथा स्मरण की जाती है। लोग विविध प्रकार के भोजन बनाकर भगवान को अर्पित करते हैं।
22 अक्टूबर – गोपाष्टमी / यम द्वितीया: कुछ क्षेत्रों में यह दिन गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाएगा, जबकि कहीं भाई दूज से पूर्व यम द्वितीया के रूप में। इस दिन भाई और बहन के स्नेह का विशेष महत्व होता है।
23 अक्टूबर – भाई दूज: दीपावली के उत्सव का अंतिम दिन भाई दूज होता है। बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए तिलक करती हैं, और भाई उन्हें उपहार देकर स्नेह प्रकट करते हैं।
क्यों बढ़ा दीपावली पर्व का एक दिन?
इस बार पंचांग के अनुसार तिथियों का overlapping (मिश्रण) हो रहा है चतुर्दशी और अमावस्या तिथि दोनों का संयोग दो दिनों में विभाजित है। इसी कारण से रूप चौदस और मुख्य दीपावली के बीच एक अतिरिक्त संक्रमण काल बन गया है, जिससे पूरा पर्व छह दिनों तक विस्तारित हो गया है। इसके साथ ही कुछ क्षेत्रों में अलग-अलग परंपराओं के अनुसार दीपावली की पूजा का समय भिन्न है कहीं 20 अक्टूबर की रात में, तो कहीं 21 अक्टूबर को सुबह। इसीलिए पंचांग के हिसाब से यह पर्व इस बार एक दिन लंबा हो गया है।
दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकाश, शुद्धता और सकारात्मकता का प्रतीक है। इस बार छह दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में भक्ति, आनंद और उमंग का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। घर-आंगन में दीपों की रौशनी के साथ, मन में भी आशा और खुशहाली के दीप जलाएँ।
इस दीपावली पर “अंधकार से उजाले की ओर, असत्य से सत्य की ओर” यही हो हमारी प्रार्थना।