नहाए-खाए के साथ जीवितपुत्रिका व्रत की शुरुआत, माताएं संतान की लंबी आयु के लिए करेंगी तीन दिन का उपवास

नोएडा । मातृ प्रेम और संतान की दीर्घायु के लिए समर्पित जीवितपुत्रिका व्रत (जितिया) की शुरुआत आज नहाए-खाए की परंपरा के साथ हो गई। यह व्रत तीन दिन तक चलता है और इसमें संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और निरोग जीवन की कामना की जाती है।

पहले दिन व्रती महिलाओं ने पवित्र स्नान कर सादे भोजन का सेवन किया। इसे ही “नहाए-खाए” कहा जाता है। भोजन में प्रायः अपने क्षेत्र के लोकाचार के अनुसार चावल के साथ अनेक प्रकार के स्वादिष्ट भोजन बनाकर पितरैन को खिलाकर खुद खाते हैं। आज महिलाएं  मरुआ की रोटी खाने की परंपरा है। माना जाता है कि इस दिन का सादा आहार अगले दिन कठोर निर्जल उपवास करने की शक्ति देता है।

कल दूसरे दिन ( 14 सितंबर) को माताएं निर्जल उपवास करेंगी। इस दौरान वे न जल ग्रहण करेंगी और न ही अन्न। व्रती महिलाएं भगवान सूर्य और जितिया व्रत के देवता जीमूतवाहन की पूजा करेंगी। तीसरे दिन प्रातः स्नान के बाद व्रत का समापन पारण के साथ किया जाएगा।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाभारत काल में संतान रक्षा के लिए द्रौपदी ने भी यह व्रत रखा था। वहीं, जीमूतवाहन की कथा इस व्रत से जुड़ी है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर नागवंश की रक्षा की थी। इसी त्याग और समर्पण की स्मृति में यह व्रत लोकप्रिय हुआ।

यह व्रत केवल धार्मिक परंपरा ही नहीं, बल्कि मातृत्व की शक्ति और नारी के त्याग का प्रतीक भी माना जाता है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाएं पूरे उत्साह और श्रद्धा से इस व्रत का पालन कर रही हैं।

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