विनोद कुमार झा
मंगलवार को स्थानीय शेयर बाजार ने एक बार फिर तेजी का रुख दिखाया। बीएसई सेंसेक्स करीब 595 अंक और एनएसई निफ्टी लगभग 170 अंक की छलांग लगाकर बंद हुए। यह बढ़त केवल शेयरों की सामान्य खरीद-बिक्री का परिणाम नहीं, बल्कि भारत और अमेरिका के बीच शुरू हुई व्यापार वार्ता से जुड़ी उम्मीदों का असर है। भारत-अमेरिका व्यापार संबंध हमेशा से हमारी अर्थव्यवस्था के लिए निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। हाल के वर्षों में अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी शुल्क और निर्यातकों की अनिश्चितताओं ने भारतीय उद्योग को दबाव में ला दिया था। ऐसे में, वार्ता का फिर से शुरू होना बाजार में निवेशकों को यह संकेत देता है कि आने वाले समय में व्यापारिक माहौल और अधिक अनुकूल हो सकता है। यही विश्वास बाजार की मजबूती का आधार बना।
तेजी का असर केवल संवेदी अंकों तक ही सीमित नहीं रहा। कोटक महिंद्रा बैंक, एलएंडटी और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे प्रमुख शेयरों में लाभ देखा गया। यह दर्शाता है कि बैंकिंग और औद्योगिक क्षेत्र को निवेशक फिलहाल सबसे सुरक्षित और संभावनाशील मान रहे हैं। हालांकि एशियन पेंट्स और बजाज फाइनेंस जैसे कुछ दिग्गज शेयर नुकसान में रहे, लेकिन समग्र रूप से बाजार की धारणा सकारात्मक बनी रही। यह भी ध्यान देने योग्य है कि वैश्विक परिदृश्य ने भी इस बढ़त को सहारा दिया। अमेरिकी बाजारों का सकारात्मक बंद होना और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित कटौती की उम्मीद ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया। वैश्विक संकेतों के साथ घरेलू त्योहारों की मांग और जीएसटी से जुड़ी स्थिरता ने भी बाजार की मजबूती में योगदान दिया। हालांकि निवेशकों के लिए यह समझना जरूरी है कि अल्पकालिक तेजी स्थायी समाधान नहीं है। भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता का वास्तविक प्रभाव तभी दिखेगा जब ठोस समझौते होंगे और शुल्कों की बाधाएं कम होंगी। साथ ही, विदेशी निवेशकों की हालिया बिकवाली इस बात की चेतावनी देती है कि बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है। समग्र रूप से, भारत-अमेरिका वार्ता ने निवेशकों में नई ऊर्जा भरी है और बाजार को राहत दी है। परंतु इस रौनक को स्थायी आधार देने के लिए सरकार को इस वार्ता को ठोस नीतिगत उपलब्धियों में बदलना होगा। तभी भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार दोनों लंबे समय तक मजबूती बनाए रख पाएंगे।