शांत, सहज, सरल और सुखमय जीवन के लिए दिमाग का इस्तेमाल करें : नामदेव महाराज

 श्रीजी गोसदन में पर्यावरण संरक्षण, गो संवर्धन व आध्यात्मिक संगोष्ठी का आयोजन 

कार्यक्रम के दौरान विहंगम योग के साधकों के बीच किए गए पौधों का वितरण

संजीव कुमार झा

नोएडा: 'मानव अगर अपने शरीर की जरूरतों को पूरा करने के बदले मन की जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान लगाए, तो उसका जीवन शांत, सहज, सरल और सुखमय हो जाएगा। लेकिन, दुर्भाग्य की बात है कि आज के भौतिकवादी युग में लोग मन के सुख और उसकी शांति के लिए नहीं, बल्कि तन के सुख की खातिर ही सारी क्रियाएं करते हैं। मन, जिसे किसी ने देखा नहीं है, हम उसी के इशारों पर काम करते हुए शारीरिक जरूरतों को पूरा करते हैं। इसका अर्थ यह है कि आज का इंसान ब्रह्माण्ड, यानी दिमाग का इस्तेमाल नहीं करता, बल्कि पिण्ड, यानी शरीर का इस्तेमाल करते हुए अपनी इच्छाएं पूरी करता है। इसी वजह से उसके जीवन में तनाव, कुण्ठा, अवसाद जैसे विकार घर कर जाते हैं और वह अध्यात्म के पथ से दूर होता चलाा जाता है। इसके बदले अगर आप मन को नियंत्रित करके उसकी शांति के लिए प्रयास करें, तो आपके जीवन की सारी समस्याएं धीरे—धीरे न्यून होती चली जाएंगी और आपका जीवन शांत, सहज, सरल और सुखमय होता चला जाएगा।' 

ये बातें रविवार को पितृ पक्ष में मां यमुना के तट पर गो माता की साक्षी में ब्रह्मविद्या विहंगम योग संस्थान की गौतम बुद्ध नगर इकाई द्वारा नोएडा सेक्टर 94 के श्रीजी गोसदन के भारत भवन में आयोजित पर्यावरण संरक्षण, गो संवर्धन एवं आध्यात्मिक संगोष्ठी में संगठन के अंतरराष्ट्रीय संत नामदेव जी महाराज ने कहीं। बता दें कि विहंगम योग संगठन अपने अंतरराष्ट्रीय संत नामदेव जी महाराज के जन्मदिन पर राष्ट्रव्यापी पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन करता है। इस अभियान के तहत फलदार वृक्ष, जैसे, पीपल, बरगद, नीम, अशोक जैसे अन्य ऑक्सीजन-उत्सर्जक पेड़ लगाए जाते हैं, जो पर्यावरण को शुद्ध रखने में मदद करते हैं। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य देश के पर्यावरण को सुधारना, प्रकृति के प्रति लोगों को जागरूक करना और मानव की जीवन शक्ति को बढ़ाना है। इस अवसर पर स्वयं नामदेव जी महाराज ने भी गोसदन में बरगद के पौधे का रोपण किया। 

नामदेव महाराज ने कहा कि आज पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग के संकट से जूझ रही है। इसका कारण जलवायु परिवर्तन है जिसके पीछे जंगलों, पेड़—पौधों की अंधाधुंध कटाई की अहम भूमिका है। पर्यावरण संरक्षण के अपने विशेष उद्देश्य के तहत विहंगम योग संस्थान हर साल छह सितंबर को राष्ट्रव्यापी पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन करता है, ताकि लोगों को स्वच्छ वायु में जीने का अधिकार मिल सके। हालांकि, पर्यावरण को लेकर जिस तरह की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, संकट सामने आ रहे हैं, उसके मद्देनजर विहंगम योग संगठन की यह पहल मामूली जरूर नजर आ सकती है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम हम एक पौधा लगाते हैं, तो वह मात्र एक पौधा नहीं होता है, बल्कि मानव के लिए जीवनदायी उदाहरण बनकर सामने आता है। इसलिए इस पहल से सबको जुड़ने की जरूरत है, ताकि पर्यावरण संरक्षण अभियान को मजबूती मिल सके और हमें अपनी सामूहिक जिम्मेदारी का अहसास भी हो सके। 

गो संवर्धन के बारे में नामदेव महाराज ने कहा कि भारत की पहचान एक गोपालक देश के रूप में रही है। हमारे देश में गाय को माता का दर्जा दिया गया है, लेकिन दुर्भाग्य से आज भारत की पहचान गोमांस निर्यातक देश के रूप में विश्व के दूसरे देश के रूप में बन गई है। इतना ही नहीं, आज दूध निकालने के बाद गोमाताओं को सड़कों पर आवारा छोड़ दिया जाता है जिससे उनके सामने चारा का संकट पैदा हो रहा है और वह कचरा, प्लास्टिक आदि खाकर बेमौत मर रही हैं। विहंगम योग संस्थान इस स्थिति में बदलाव लाने के लिए गोशालाओं का संचालन करता है और वहां से प्राप्त गाय के दूध का गरीब बच्चें, गर्भवती महिलाओं व अन्य जरूरतमंदों के बीच निशुल्क वितरण किया जाता है।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन, स्वागत और मंगल गान के साथ हुई, जबकि समापन आरती, शांति पाठ और पौध वितरण के साथ हुआ। कार्यक्रम के पूर्व आगंतुकों के लिए उत्तम नाश्ता, जबकि कार्यक्रम के बाद महाप्रसाद की भी अच्छी व्यवस्था थी। कार्यक्रम के आयोजक कैलाश चंद किल्ला ने आगंतुकों का आभार जताया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में विजय सिंह, जुगल किशोर भारती, राहुल शर्मा, मनीष कुमार, मनीष मोहन, शशि कुमार दास आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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