विनोद कुमार झा
भारतीय सनातन संस्कृति में नवरात्रि का पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं है, बल्कि यह समाज, संस्कृति और अध्यात्म के सम्मिलन का भी पर्व है। प्रत्येक वर्ष नवरात्रि के साथ माता दुर्गा के आगमन और प्रस्थान का विशेष महत्व माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, देवी के वाहन (विमान) के आधार पर आने वाले समय की परिस्थितियों का संकेत मिलता है। इस वर्ष 2025 की शारदीय नवरात्रि में माता का आगमन गज (हाथी) पर और प्रस्थान मनुष्य (पैदल) पर हो रहा है। इन दोनों का महत्व अत्यंत गूढ़ है और समाज के लिए गहरा संदेश देता है।
शारदीय नवरात्रि का महत्व : नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है, परंतु चैत्र और शारदीय नवरात्रि को विशेष माना जाता है। शारदीय नवरात्रि, जो आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है, देवी महाशक्ति की उपासना का सबसे बड़ा अवसर है। इस दौरान लोग कलश स्थापना करते हैं, नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की पूजा-अर्चना करते हैं, दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और कन्या पूजन कर नवरात्रि का समापन करते हैं।
नवरात्रि का हर दिन माता के अलग-अलग रूप को समर्पित होता है जैसे :- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री यह नौ दिवसीय साधना केवल धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, अनुशासन और भक्ति का पर्व है।
माता का आगमन और प्रस्थान : शास्त्रों के अनुसार, माता दुर्गा हर वर्ष अलग-अलग वाहन पर सवार होकर पृथ्वी लोक पर आती और जाती हैं। माता का वाहन केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि यह आने वाले समय की दशा और दिशा का संकेत देता है।
वाहनों की मान्यता इस प्रकार है :- गज (हाथी) : वर्षा, समृद्धि, शांति और सुख-समृद्धि का प्रतीक। घोड़ा : संघर्ष, युद्ध, आपदा और अशांति का संकेत। नौका (डोली) : जल प्रलय, बाढ़ और प्राकृतिक आपदा का संकेत। मनुष्य (पैदल) : समाज में संतुलन, सहयोग, श्रम की प्रधानता और सामूहिक चेतना का संदेश है।
2025 में माता का आगमन : गज पर है। इस बार 2025 की शारदीय नवरात्रि में माता का आगमन गज (हाथी) पर हो रहा है। गज को भारतीय संस्कृति में शक्ति, धैर्य, बुद्धि और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। हाथी पर माता का आगमन इस बात का द्योतक है कि आने वाला वर्ष धरती पर सुख-समृद्धि और शांति का संदेश लेकर आएगा।
गज पर आगमन के फलस्वरूप : वर्षा भरपूर होगी और कृषि में उन्नति होगी। अन्न, जल और धन की प्रचुरता रहेगी। समाज में स्थिरता और संतुलन का भाव जागृत होगा। धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सवों की समृद्ध परंपरा मजबूत होगी।
शास्त्र वाणी :
"गजे आगमनं मातुः सर्वसंपत्संप्रदं भवेत्।
वर्षा प्रचुरिता लोके शान्तिः सर्वत्र जायते॥"
अर्थात जब माता हाथी पर आती हैं तो वर्षा प्रचुर होती है, समस्त लोक में शांति और समृद्धि का वास होता है।
2025 में माता का प्रस्थान : मनुष्य पर नवरात्रि पूर्ण होने के बाद इस वर्ष माता का प्रस्थान मनुष्य (पैदल) पर हो रहा है।
शास्त्रों के अनुसार, जब देवी मनुष्य पर सवार होकर जाती हैं तो इसका संकेत है कि समाज को अपने श्रम, परिश्रम और सहयोग से नए मार्ग प्रशस्त करने होंगे। यह इस बात का प्रतीक है कि देवी स्वयं मानव के साथ खड़ी होकर यह संदेश देती हैं कि मनुष्य को अपने कर्म, परिश्रम और सामूहिक चेतना से ही समृद्ध भविष्य का निर्माण करना होगा।
मनुष्य पर प्रस्थान के फलस्वरूप : समाज में श्रम का महत्व बढ़ेगा। हर वर्ग को अपने कर्म के अनुसार फल मिलेगा। लोक में सहयोग, सेवा और सामूहिक प्रयास की प्रवृत्ति प्रबल होगी। धर्म और अध्यात्म की ओर लोगों का झुकाव बढ़ेगा।
शास्त्र वाणी :
"नरवाहने निर्गता माताः फलप्रदा भवेत्।
श्रमणां पूजिता लोके धर्ममार्गं प्रबोधयेत्॥"
अर्थात जब माता मनुष्य पर प्रस्थान करती हैं तो यह मनुष्यों के श्रम और कर्म के महत्व को रेखांकित करता है। यह समय धर्म मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
आगमन और प्रस्थान का संयुक्त संदेश :2025 की नवरात्रि में माता का आगमन गज पर और प्रस्थान मनुष्य पर होना अत्यंत शुभ है। इसका स्पष्ट संकेत है कि आने वाला समय समृद्धि, शांति और भरपूर वर्षा से सम्पन्न होगा, साथ ही मनुष्य को अपने कर्म और सामूहिक प्रयासों से समाज में प्रगति और संतुलन लाना होगा।
यह युग परिवर्तन का संकेत भी माना जा सकता है जहाँ प्रकृति अपनी कृपा से सुख-समृद्धि देगी, वहीं मनुष्य को परिश्रम और सहयोग से उस समृद्धि को टिकाऊ बनाना होगा।
नवरात्रि का पर्व केवल पूजा-पाठ का अवसर नहीं है, बल्कि यह आत्मसुधार और समाज सुधार का भी संदेश देता है। भक्तजन श्रद्धा और भक्ति से माता की उपासना करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ और देवी स्तुति से आत्मबल को बढ़ाएँ। कन्या पूजन और दान-पुण्य से समाज में संतुलन और सहयोग का भाव लाएँ।प्रकृति और श्रम दोनों के महत्व को समझकर आगे बढ़ें।
शारदीय नवरात्रि 2025 में माता का आगमन गज पर और प्रस्थान मनुष्य पर होना भारत और विश्व के लिए शुभ संकेत है। यह समृद्धि और शांति का वर्ष होने वाला है, बशर्ते मनुष्य अपने श्रम और सहयोग की शक्ति को पहचानकर धर्म और अध्यात्म की राह पर चले। मां दुर्गा की कृपा से हर भक्त का जीवन सुख-समृद्धि से भरे और समाज में धर्म, शांति और न्याय की स्थापना हो यही इस नवरात्रि का संदेश है।
जय माता दी