आत्मनिर्भर भारत: स्वदेशी को अपनाओ, व्यापार बढ़ाओ... 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा दिया गया 'आत्मनिर्भर भारत' का नारा आज पूरे देश में गूंज रहा है। यह नारा केवल एक राजनीतिक घोषणा नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्र के आर्थिक भविष्य की नींव है। इसका सीधा अर्थ है कि हमें अपनी शक्तियों को पहचानना होगा और अपने ही देश में बने उत्पादों को प्राथमिकता देनी होगी।
भारत एक विशाल और विविध देश है, जिसके पास प्रतिभा, संसाधन और रचनात्मकता की कोई कमी नहीं है। हमारे कारीगर, किसान और उद्यमी सदियों से बेहतरीन उत्पाद बनाते आ रहे हैं। चाहे वह कलाकृतियां हों, परिधान हों, या फिर तकनीकी उत्पाद, हमारे पास हर क्षेत्र में उत्कृष्ट क्षमता है। लेकिन कई वर्षों से हम विदेशी उत्पादों के मोह में पड़कर अपने ही देश के उत्पादों को नजरअंदाज करते रहे हैं। इसका सीधा असर हमारे स्थानीय उद्योग, छोटे व्यापारियों और कारीगरों पर पड़ा है, जिससे रोजगार के अवसर कम हुए हैं।
'स्वदेशी को अपनाओ, व्यापार बढ़ाओ' का सिद्धांत इसी समस्या का समाधान है। जब हम 'मेड इन इंडिया' उत्पादों को खरीदते हैं, तो हम सिर्फ कोई सामान नहीं खरीदते, बल्कि हम अपने देश के एक किसान, एक बुनकर, एक छोटे व्यापारी और एक मेहनती कामगार के परिवार को भी सहारा देते हैं। यह कदम हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है, क्योंकि पैसा देश के भीतर ही रहता है और फिर से विकास कार्यों में लगता है।
स्वदेशी को बढ़ावा देने से हमारा आयात बिल भी कम होगा। जब हम विदेश से कम सामान मंगाएंगे और अपने ही देश में ज्यादा उत्पादन करेंगे, तो हमारा व्यापार संतुलन बेहतर होगा। इससे भारतीय मुद्रा मजबूत होगी और देश आर्थिक रूप से अधिक स्थिर बनेगा।
यह सिर्फ सरकार का काम नहीं है; यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। हमें अपनी खरीददारी की आदतों में बदलाव लाना होगा। हमें यह समझना होगा कि हर स्वदेशी उत्पाद को खरीदना एक देशभक्ति का कार्य है। यह हमारे राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक छोटा, लेकिन बहुत महत्वपूर्ण कदम है। हमें अपने देश के उत्पादों पर गर्व करना चाहिए और उनका खुले दिल से स्वागत करना चाहिए।
आइए, हम सब मिलकर इस मिशन में भाग लें और भारत को एक शक्तिशाली और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में अपना योगदान दें। जब हर भारतीय 'वोकल फॉर लोकल' बनेगा, तभी जाकर 'आत्मनिर्भर भारत' का सपना साकार हो पाएगा।