करीब 1.7 करोड़ किसानों को सीधे तौर पर इस योजना से लाभ मिलने की संभावना है। फसल कटाई के बाद भंडारण क्षमता, सिंचाई सुविधाओं, और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही जलवायु लचीली और टिकाऊ खेती को अपनाने पर जोर दिया गया है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन भी बना रहेगा। इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह उन 100 जिलों को टारगेट कर रही है जहां उत्पादकता कम, बुआई क्षेत्र सीमित और जमीन की उपलब्धता औसत से नीचे है। यानी कृषि विकास को संतुलित बनाकर, समावेशी प्रगति सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है।
यह योजना न केवल कृषि उत्पादन बढ़ाने का माध्यम बनेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति, स्थानीय रोजगार, और कौशल उन्नयन को भी प्रोत्साहित करेगी। फल-सब्जी उत्पादन, प्रसंस्करण, और वितरण जैसे क्षेत्रों में भी सुधार का वादा इस योजना के माध्यम से किया गया है। 'पीएम धन-धान्य कृषि योजना' भारतीय कृषि व्यवस्था में एक संरचनात्मक और दूरदर्शी परिवर्तन का संकेत है। यदि इसका कार्यांवयन पारदर्शिता और प्रभावशीलता के साथ किया गया, तो यह योजना भारत को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सक्षम बना सकती है।
- विनोद कुमार झा ( संपादक )