# कलश के ऊपर आम के पत्ते को रखने का रहस्य क्या है?

विनोद कुमार झा ✍️ 

भारतीय संस्कृति का प्रत्येक कार्य प्रतीक और परंपरा से जुड़ा हुआ है, किंतु इन प्रतीकों के पीछे केवल आस्था नहीं, अपितु एक गहन वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण भी निहित है। पूजा-पद्धतियों में प्रमुख स्थान रखने वाले 'कलश' और उस पर आम के पत्तों की सजावट भी इसी तरह के रहस्यमय तत्त्वों में से है।

प्रश्न उठता है आम के पत्ते ही क्यों?

तुलसी, नीम, पीपल, बेलपत्र जैसे पवित्र वृक्ष होते हुए भी विशेषतः आम के पत्तों का ही प्रयोग क्यों?

आइए इस लेख में हम इस गूढ़ प्रश्न के उत्तर को पौराणिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विस्तार से समझते हैं।

कलश  केवल पात्र नहीं, चेतना का प्रतीक है। भारतीय परंपरा में कलश को जल से भरा पात्र नहीं माना गया, बल्कि उसे जीवंत ब्रह्मांडीय शक्ति का आधार कहा गया।

* कलश में जल: जीवन और सृजन का मूल स्रोत

* कलश की धातु (तांबा, पीतल): विद्युत-चुंबकीय ऊर्जा का वाहक

* उस पर रखा नारियल: चेतना, मस्तिष्क, ब्रह्म

* और चारों ओर आम के पत्ते: प्राणवायु, ऊर्जा संतुलन, ग्रहदोष निवारण।

कलश एक ऐसा प्रतीक बन जाता है जिसमें सृष्टि के पंचतत्त्व – जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश सभी समाहित रहते हैं।

 आम के पत्तों का पौराणिक आधार

* अथर्ववेद में ‘आम्र पल्लव’ को शुभता, समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक माना गया है।

* विष्णुपुराण में आम के वृक्ष को ‘देववृक्ष’ कहा गया है, जिसे इंद्रलोक का पौधा भी माना गया।

* कामदेव के पंचबाणों में आम्रपुष्प को एक बाण के रूप में दर्शाया गया है  यह सौंदर्य, वसंत, जीवन और आकर्षण का प्रतीक है।

* सती अनुसूया, माता अन्नपूर्णा, और देवी लक्ष्मी के पूजन में आम के पत्ते अनिवार्य बताए गए हैं। इस प्रकार पौराणिक रूप से आम का वृक्ष दैवीय ऊर्जा का वाहक माना गया है। 

आम के पत्तों का प्रतीकात्मक रहस्य

पाँच पत्तों का विशेष अर्थ: कलश पर सामान्यतः पाँच आम के पत्ते लगाए जाते हैं। ये पाँच पत्ते दर्शाते हैं –

पंचप्राण: प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान

पंचेन्द्रियाँ: आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा

पंचतत्त्व: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश

ऊर्जा संचरण का माध्यम: जब कलश के चारों ओर आम के पत्ते लगाए जाते हैं, तो वे एक सुरक्षात्मक चक्र बनाते हैं जो पूजा स्थल को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त करते हैं।

इन पत्तों के द्वारा ऊर्ध्वगामी ऊर्जा स्थिर होती है और पूजा के समय उत्पन्न कंपन (वाइब्रेशन) को संतुलित करती है।

 वैज्ञानिक रहस्य: औषधीय और वायुमंडलीय गुण

प्राकृतिक रोगनाशक: आम के पत्तों में टैनिन, फ्लेवोनॉयड्स और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो जीवाणुनाशक हैं। इससे वातावरण की शुद्धि होती है।

वायुवाहक संरचना: आम के पत्ते लंबी और मजबूत नसों वाले होते हैं, जो हवा में मौजूद कार्बन और बैक्टीरिया को अवशोषित करने में सक्षम होते हैं।

जल शुद्धि: जब ये पत्ते कलश के जल पर रखे जाते हैं, तो वे वाष्पीकरण को कम करते हैं और जल को लंबे समय तक ताजा एवं शुद्ध बनाए रखते हैं।

 तुलसी, नीम, पीपल क्यों नहीं?

| पत्ता       | क्यों नहीं प्रयोग होता   | 

--------------------------------------------------------------| तुलसी | कोमल होती है, जल्दी मुरझा जाती है, और विष्णु को ही अर्पित की जाती है।  

नीम  | तीव्र कटुता और तापयुक्त प्रकृति के कारण यह कलश की शीतल ऊर्जा को प्रभावित कर सकती है। 

पीपल | इसकी पत्तियाँ हवा से जल्दी फड़फड़ाती हैं और पूजा की स्थिरता में विघ्न डालती हैं।     

बेलपत्र | शिव को अर्पित होते हैं, और त्रिदल स्वरूप में विशिष्ट अनुष्ठानों में सीमित हैं।       

केवल आम के पत्ते ही ऐसे हैं जो टिकाऊ, ऊर्जा-संयोजक, सुगंधित, और सात्विकता में सर्वोत्तम माने जाते हैं।

वास्तुशास्त्र के अनुसार, कलश को घर, मंदिर, सभा, या पूजा स्थल में ब्रह्मस्थान पर स्थापित करना चाहिए। आम के पत्ते उसमें:

* ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं।

* दिशाओं के दोषों का निवारण करते हैं।

* भूत-प्रेत बाधाओं से सुरक्षा देते हैं।

इसलिए विवाह, यज्ञोपवीत, गृहप्रवेश, सत्यनारायण कथा, दीपावली पूजन, नवरात्रि स्थापना आदि हर शुभ अवसर पर आम के पत्ते लगे कलश का प्रयोग किया जाता है।

भारतीय परंपरा ने कभी भी धर्म को प्रकृति से अलग नहीं माना। कलश और आम के पत्ते हमें यही संदेश देते हैं: यदि पूजा करनी है तो वृक्ष से प्रेम करना होगा। यदि ईश्वर को बुलाना है, तो प्रकृति को सम्मान देना होगा। यदि सुख-शांति चाहिए, तो हर परंपरा का वैज्ञानिक और आत्मिक अर्थ समझना होगा।

कलश में आम के पत्तों का स्थापित होना कोई सामान्य रीति नहीं है। यह संस्कृति, चेतना, विज्ञान, ऊर्जा और भक्ति का अद्भुत संगम है। यह परंपरा हमें सिखाती है कि सादगी में भी गहराई छिपी होती है, और प्रतीकों में भी परमात्मा का संकेत।

आइए, अगली बार जब भी हम किसी शुभ अवसर पर कलश में आम के पत्ते सजाएं, तो केवल उसकी शोभा नहीं देखें, बल्कि उस आध्यात्मिक रहस्य को नमन करें, जो इन पत्तों में सदा से विद्यमान है।

Post a Comment

Previous Post Next Post