विनोद कुमार झा
भारत की आध्यात्मिक परंपराओं में फूलों का विशेष महत्व रहा है। वे केवल सुगंध और सुंदरता का प्रतीक नहीं, बल्कि भक्ति, पवित्रता, ऊर्जा और चेतना के वाहक माने गए हैं। हर देवता की आराधना में विशिष्ट फूल अर्पित करने की परंपरा है, जिसका संबंध उनके स्वरूप, गुण, और शक्ति से जुड़ा होता है। आइए जानते हैं उन 10 दिव्य फूलों के बारे में जो देवताओं को अत्यंत प्रिय हैं, और इन फूलों का गूढ़ रहस्य क्या है। आइए जानते हैं विस्तार से :-
1. कमल (लक्ष्मी माता और भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु का प्रिय है)
रहस्य : कमल कीचड़ में उत्पन्न होता है, लेकिन उसकी पंखुड़ियाँ निर्मल और सुगंधित रहती हैं। यह वैराग्य और आत्मज्ञान का प्रतीक है। देवी लक्ष्मी कमल पर विराजमान होती हैं, जो यह दर्शाता है कि धन, वैभव और सुंदरता तब तक शुद्ध है जब तक वह निर्मल बुद्धि से जुड़ी हो। कमल का फूल अर्पित करने से मन, बुद्धि और आत्मा की शुद्धि होती है।
2. धतूरा (भगवान शिव का प्रिय है)
रहस्य : धतूरा एक विषैला फूल होता है, परंतु शिव को यह अतिप्रिय है क्योंकि वे विष का नाश करने वाले और रूद्रस्वरूप हैं। समुद्र मंथन के समय शिव ने विषपान किया था, तभी से धतूरा उन्हें अर्पित किया जाता है, जिससे नकारात्मकता और जहर रूपी भावनाएं शांत होती हैं।
3. पारिजात (Night Jasmine) विष्णु और कृष्ण का प्रिय है।
रहस्य : पारिजात स्वर्ग का फूल है, जिसे इन्द्रलोक से धरती पर लाया गया था। यह फूल कभी मुरझाता नहीं, जो अनंत प्रेम और अमरता का प्रतीक है। विष्णु को यह अर्पित करने से भक्त को प्रेम, भक्ति और स्वर्गीय सुख की प्राप्ति होती है।
4. बेलपत्र और सफेद आकड़ा (Bael leaves & Calotropis) भगवान शिव का प्रिय है।
रहस्य : बेलपत्र और बेल फूल त्रिदेवों के प्रतीक हैं तीन पत्तियाँ क्रमशः ब्रह्मा, विष्णु, और महेश का प्रतिनिधित्व करती हैं। आकड़ा का सफेद फूल शिव को प्रिय है क्योंकि यह निर्मलता और तपस्या का प्रतीक है। यह अर्पण करने से शत्रुओं का नाश और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
5. कनेर (Oleander) हनुमान जी और शिवजी का प्रिय है।
रहस्य : कनेर का फूल विशेष रूप से शक्ति और रक्षा का प्रतीक है। इसका रंग और गंध भक्ति और वीरता को जाग्रत करता है। हनुमान जी को कनेर चढ़ाने से शक्ति, साहस और भूत-प्रेत बाधा से रक्षा होती है।
6. मदार पुष्प (Crown Flower) भगवान शिव का प्रिय है।
रहस्य : मदार के फूल में पांच पंखुड़ियाँ होती हैं, जो पंचतत्त्व का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह पुष्प साधारण नहीं, तपस्वियों द्वारा शिव के अर्चन में प्रयुक्त होता है। शिव को मदार फूल अर्पित करने से आत्मा की उन्नति और रोगों से मुक्ति मिलती है।
7. तुलसी (Holy Basil) विष्णुजी और श्रीकृष्ण का प्रिय है।
रहस्य : तुलसी कोई आम पौधा नहीं, यह स्वयं एक देवी है देवी तुलसी। विष्णु को तुलसी के फूल अर्पित करने से भक्त के सभी पाप दूर होते हैं और वह मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होता है। तुलसी की एक पत्ती भी अमृत तुल्य मानी जाती है।
8. केवड़ा (Screw Pine) — भगवान विष्णु का प्रिय है।
रहस्य : केवड़ा की सुगंध दिव्यता और मानसिक ऊर्जा को बढ़ाती है। यह विष्णु को प्रिय इसलिए है क्योंकि यह सात्विकता और दिव्यता का प्रतीक है। इसके अर्पण से शांतिपूर्वक जीवन और घर में समृद्धि आती है।
9. जूही (Jasmine) देवी दुर्गा और देवी सरस्वती का प्रिय है।
रहस्य : जूही की कोमलता और गंध स्त्रीत्व, शांति और विद्या की ऊर्जा को जाग्रत करती है। सरस्वती को यह पुष्प अर्पण करने से बुद्धि, वाणी और संगीत में निपुणता आती है, और दुर्गा को अर्पण करने से रक्षात्मक ऊर्जा सक्रिय होती है।
10. चंपा फूल (भगवान विष्णु और प्रभु श्रीराम का प्रिय )
रहस्य : चंपा का संबंध प्रेम, सौंदर्य और आत्मिक पवित्रता से है। श्रीराम को यह पुष्प अर्पण करना, मर्यादा और आत्मसंयम का सम्मान करना है। यह फूल अर्पण करने से पारिवारिक सुख और मन की स्थिरता प्राप्त होती है।
इन फूलों को अर्पित करना केवल एक कर्मकांड नहीं, बल्कि उस देवता के गुणों को अपने जीवन में धारण करने का आह्वान है। हर फूल हमें एक ऊर्जा, एक भावना, और एक चेतना देता है शांति, शक्ति, प्रेम, वैराग्य, श्रद्धा और तपस्या की।
जैसे कमल सिखाता है कि कीचड़ में रहते हुए भी पवित्र बना जा सकता है, वैसे ही तुलसी बताती है कि एक पत्ता भी प्रेमपूर्वक अर्पित किया जाए, तो वह प्रभु को स्वीकार है।
फूलों की यह परंपरा केवल भारतीय संस्कृति की भक्ति नहीं, प्रकृति से एक जीवंत संवाद है। देवताओं को प्रिय ये 10 पुष्प हमें आत्मज्ञान, भक्ति और संतुलन की ओर ले जाते हैं। जब अगली बार आप मंदिर जाएँ या पूजन करें, इन फूलों को उनके गूढ़ अर्थ के साथ अर्पित करें और अनुभव करें कि प्रकृति और परमात्मा के बीच यह पुल कितना मधुर, सुगंधित और दिव्य है।