विनोद कुमार झा
भारतीय परंपरा में कलश स्थापना एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है, जिसका प्रयोग विशेष रूप से पूजा, यज्ञ, व्रत, विवाह, गृह प्रवेश, नवरात्रि, गणेश चतुर्थी, दीपावली जैसे अवसरों पर किया जाता है। कलश को स्वयं में संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक माना गया है।
कलश के नीचे धान या चावल रखना कोई साधारण परंपरा नहीं, यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। बल्कि इसके पीछे गहरी धार्मिक, आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक मान्यताएं छिपी हैं जो इस प्रकार है:-
1. समृद्धि और धन का प्रतीक: धान और चावल अन्न के मुख्य स्रोत माने जाते हैं। इन्हें लक्ष्मी माता का प्रतीक भी माना जाता है। कलश के नीचे चावल या धान रखने का अर्थ है समृद्धि, अन्नपूर्णता और घर में सुख-शांति की कामना करना।
2. स्थिरता और आधार का प्रतीक: कलश को किसी ठोस और पवित्र आधार पर रखना जरूरी होता है। चावल या धान एक समतल और संतुलित आधार प्रदान करते हैं, जिससे कलश स्थिरता से खड़ा रहता है। यह जीवन में संतुलन और स्थिरता का भी प्रतीक है।
3. धार्मिक महत्व: पुराणों और वेदों में धान और चावल को जीवनदायी तत्व माना गया है। जब इन्हें कलश के नीचे रखा जाता है, तो यह संकेत करता है कि हमारा जीवन और हमारी भक्ति अन्न और प्रकृति के प्रति आभार से जुड़ी है।
4. ऊर्जा का संचार: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धान या चावल सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। जब कलश, जो स्वयं देवताओं का निवास स्थान माना जाता है, धान या चावल पर रखा जाता है, तो यह ऊर्जा को और अधिक प्रभावी ढंग से संचारित करता है।
5. पंचतत्व का संतुलन: कलश जल (जल तत्व) का प्रतिनिधित्व करता है, और चावल या धान पृथ्वी तत्व का। जब दोनों को एक साथ रखा जाता है, तो यह पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का संतुलन दर्शाता है, जो किसी भी पूजा या यज्ञ की सफलता के लिए आवश्यक है।
सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
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चावल और धान को हजारों वर्षों से संपन्नता, भोजन, जीवन और सुरक्षा का प्रतीक माना गया है।
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वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो धान नमी को नियंत्रित करता है, और पूजा स्थल को शुद्ध वातावरण प्रदान करता है।
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धान लंबे समय तक खराब नहीं होता, इसलिए इसका प्रयोग एक स्थायित्व और दीर्घायु प्रतीक के रूप में किया जाता है।
कलश को आमतौर पर देवी-देवताओं का आसन माना जाता है। जब इसे धान या चावल पर रखा जाता है, तो यह दर्शाता है कि हम उन्हें श्रद्धा और सम्मान से आमंत्रित कर रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे किसी अतिथि के लिए आसन और भोजन की व्यवस्था करते हैं।
कलश के नीचे धान या चावल रखना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि भारतीय दर्शन और संस्कृति में समृद्धि, स्थिरता, संतुलन और श्रद्धा का प्रतीक है।