प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीकानेर की धरती से जो उद्घोष किया, वह केवल भाषण नहीं, एक संकल्प की गर्जना थी भारत के आत्म-सम्मान, सुरक्षा और संप्रभुता की स्पष्ट उद्घोषणा। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के ठीक एक महीने बाद, भारत की निर्णायक प्रतिक्रिया न केवल आतंकवादियों के विरुद्ध बल्कि उन्हें पालने-पोसने वाले पाकिस्तान के विरुद्ध भी एक ठोस चेतावनी बनकर सामने आई है। इस पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री मोदी का यह वक्तव्य कि “पाकिस्तान को भारत के हिस्से का पानी नहीं मिलेगा, यह मेरा संकल्प है”, एक भू-राजनीतिक घोषणा के साथ-साथ भारत के आत्मबल और सुरक्षा चिंतन का प्रतीक है।
मोदी ने साफ किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कोई प्रतिशोध नहीं, बल्कि न्याय की प्रक्रिया है। यह भारत की बदली हुई नीति का द्योतक हैजहां भावनाओं की प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि राष्ट्रहित में तय की गई योजना और रणनीति का पालन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि अब आतंकी हमलों का उत्तर कब, कैसे और कहां दिया जाएगा, यह भारत की सेनाएं तय करेंगी और उनका उत्तर निर्णायक होगा। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले का उत्तर 22 मिनट में देना केवल सैन्य क्षमताओं का प्रदर्शन नहीं, बल्कि भारत की इच्छा-शक्ति और समयबद्धता की पहचान है। “जब सिंदूर बारूद में बदलता है तो परिणाम क्या होता है”, यह पंक्ति केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि एक गंभीर संकेत है कि अब भारत किसी भी प्रकार की आतंकी छेड़छाड़ को मौन रहकर नहीं सहेगा।
पाकिस्तान को भारत के हिस्से का पानी न देना केवल एक पर्यावरणीय या कूटनीतिक निर्णय नहीं है। यह भारत के आत्म-सम्मान से जुड़ा मुद्दा बन चुका है। वर्षों से सिंधु जल संधि के अंतर्गत भारत का जो हक़ है, वह पाकिस्तान को सौंपते रहना, अब एक प्रश्न बन गया है क्या किसी ऐसे देश को पानी देना नैतिक है, जो भारत में निरंतर आतंक फैला रहा है? प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना कि "यह मेरा संकल्प है और दुनिया की कोई ताकत इसे डिगा नहीं सकती", स्पष्ट कर देता है कि अब भारत अपने संसाधनों का दान केवल मैत्रीभाव से नहीं करेगा, बल्कि न्याय और उत्तरदायित्व के सिद्धांतों के आधार पर करेगा।
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत की रणनीति को तीन प्रमुख सिद्धांतों के रूप में प्रस्तुत किया:
1. निर्णायक उत्तर – भारत पर किसी भी हमले का उत्तर अब समयबद्ध और सटीक होगा।
2. परमाणु ब्लैकमेलिंग नहीं सहन करेंगे – पाकिस्तान की बार-बार की परमाणु धमकियों को अब भारत नज़रअंदाज़ नहीं करेगा, बल्कि प्रतिरोध की स्पष्ट नीति रखेगा।
3. आतंकी और उनके संरक्षक एक समान – अब आतंकी हमलों में शामिल मास्टरमाइंड और उन्हें सहयोग देने वाले पाकिस्तानी संस्थानों को समान दृष्टि से देखा जाएगा।
इन सिद्धांतों ने भारत की नीति को एक नए युग में प्रवेश करा दिया है, जहां सुरक्षा कोई प्रतिक्रियात्मक प्रक्रिया नहीं, बल्कि सशक्त राष्ट्रीय सिद्धांत है। प्रधानमंत्री ने यह भी उजागर किया कि सात अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल, विभिन्न देशों और संगठनों के समक्ष पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को उजागर करने में लगे हैं। यह कूटनीति का नया मोर्चा है, जो केवल राजनयिक वार्ताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक जनमत निर्माण का प्रयास है। भारत अब अपने दुश्मनों को न केवल सीमा पर, बल्कि मंचों पर भी मात देने की रणनीति पर कार्यरत है।
“इस मिट्टी की सौगंध, गिरने नहीं दूंगा, झुकने नहीं दूंगा” प्रधानमंत्री की यह प्रतिज्ञा भारत की आत्मा की पुकार है। देशवासियों के आहत मन को जो बल चाहिए था, वह इस भाषण में झलकता है। यह वही भारत है, जिसने अतीत में भी अंधकार में साहस का दीप जलाया और आज पुनः वह दीप तीव्रतम लौ के साथ जल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह घोषणा इस बात का प्रमाण है कि भारत अब केवल पीड़ा नहीं सहता, वह उत्तर देना जानता है। भारत अब आक्रोश में अंधा नहीं होता, वह न्याय में अडिग रहता है। आतंकवाद के विरुद्ध यह नीति, केवल एक सरकार की नहीं, बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र की चेतना का उद्घोष है। यह वह भारत है, जिसकी नसों में अब रक्त नहीं, “गर्म सिंदूर” बहता है वह सिंदूर जो अब शहीदों का बलिदान नहीं, बल्कि शौर्य की सौगंध बन चुका है।