विनोद कुमार झा
भारतीय धर्मग्रंथों और पुराणों में वर्णित अनेक पवित्र पेय न केवल देवताओं की पूजा-अर्चना में उपयोग होते हैं, बल्कि ये आत्मिक शुद्धि, स्वास्थ्य लाभ और आध्यात्मिक उन्नति के प्रतीक भी हैं। चरणामृत से लेकर अमृत और गंगाजल से लेकर सोमरस तक, हर पेय अपने आप में एक दिव्यता समेटे हुए है। यह पेय केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं, बल्कि भारतीय जीवन दर्शन की गहराइयों से जुड़े हुए हैं। आइए, इन दस पवित्र पेयों के महत्व को विस्तार से समझें और जानें कि ये कैसे हमारे जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा और शुद्धता का संचार करते हैं।
#1. चरणामृत : चरणामृत वह जल होता है जो भगवान के अभिषेक के बाद एकत्र किया जाता है और भक्तों को प्रसाद स्वरूप दिया जाता है। इसे पीने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है, पापों का नाश होता है और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। इसमें तुलसी, दूध, दही, शहद आदि मिलाए जाते हैं।
#2. पंचामृत: पंचामृत का अर्थ है पाँच अमृतों का मिश्रण – दूध, दही, शहद, घी और शक्कर। इसे विशेष रूप से अभिषेक और पूजा में भगवान को अर्पित किया जाता है। यह न केवल आध्यात्मिक रूप से पवित्र माना जाता है, बल्कि यह स्वास्थ्यवर्धक भी होता है।
3. पंचगव्य : पंचगव्य में गाय का दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर का सम्मिलन होता है। यह शुद्धिकरण और संस्कारों में प्रयोग होता है। आयुर्वेद में इसे शरीर के रोग दूर करने और मानसिक शुद्धि के लिए उपयोगी माना गया है।
#4. सोमरस : वैदिक काल में सोमरस एक दिव्य पेय माना जाता था जो यज्ञों में देवताओं को अर्पित किया जाता था। यह ऊर्जा, बल और ज्ञान प्रदान करने वाला माना गया है। आज के युग में यह प्रतीकात्मक रूप से शुद्धता और दिव्यता का प्रतिनिधित्व करता है।
5. अमृत : अमृत वह दिव्य पेय है जो समुद्र मंथन से निकला और देवताओं को अमरत्व प्रदान करने वाला माना गया। यह अमरता और चिरंजीवता का प्रतीक है। धार्मिक दृष्टि से यह ईश्वर कृपा और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करता है।
#6. तुलसी रस : तुलसी को देवी के रूप में पूजा जाता है और इसका रस अत्यंत पवित्र माना गया है। यह विषहर, रोगनाशक और मानसिक शांति प्रदान करने वाला होता है। तुलसी रस भगवान विष्णु को अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
7. पायस (खीर) : खीर, विशेष रूप से पायस, देवताओं को भोग स्वरूप अर्पित की जाती है। यह श्रद्धा, समर्पण और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। धार्मिक अनुष्ठानों में इसे विशेष रूप से तैयार किया जाता है।
8. आंवला रस: आंवला को आयुर्वेद में दिव्य औषधि कहा गया है। इसका रस स्वास्थ्य, दीर्घायु और रोगप्रतिरोधक शक्ति प्रदान करता है। इसे भी पूजा में प्रयोग कर देवताओं को अर्पित किया जाता है, विशेषकर भगवान शिव और विष्णु को।
9. गंगाजल : गंगा नदी का जल अत्यंत पवित्र माना गया है। इसका उपयोग स्नान, पूजन, शुद्धिकरण और अंतिम संस्कारों में होता है। धार्मिक विश्वास है कि गंगाजल से पाप धुलते हैं और आत्मा को शांति मिलती है।
10. गोरस (गाय का दूध) : गाय का दूध भारतीय संस्कृति में 'संपूर्ण आहार' माना गया है। यह न केवल शारीरिक रूप से पोषण देने वाला है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी शुद्ध और सात्विक माना जाता है। यह यज्ञों और भगवान को अर्पण के लिए उपयुक्त होता है।
इन दस पवित्र पेयों का धार्मिक और आयुर्वेदिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल शरीर को पोषण और मानसिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और ईश्वर से जुड़ाव का माध्यम भी बनते हैं।