विनोद कुमार झा
हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को जगत के पालनहार कहा गया है। जब-जब पृथ्वी पर पाप और अधर्म बढ़ा, धर्म की रक्षा हेतु उन्होंने विविध रूपों में अवतार लिया। इन अवतारों को "दशावतार" के नाम से जाना जाता है। हर अवतार एक विशेष युग, परिस्थिति और उद्देश्य से जुड़ा है। ये केवल धर्म की स्थापना नहीं करते, बल्कि मानवता को मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं प्रत्येक अवतारों को विस्तार से:-
1.# मत्स्य अवतार : जब प्रलय के कारण समस्त सृष्टि जल में डूब गई, भगवान विष्णु ने मछली (मत्स्य) का रूप धारण कर वैवस्वत मनु की नौका को वेदों और ऋषियों सहित सुरक्षित किया। यह अवतार ज्ञान और सृष्टि की रक्षा का प्रतीक है।
2. कूर्म अवतार : देवों और असुरों द्वारा अमृत प्राप्ति हेतु किए गए समुद्र मंथन में मंदराचल पर्वत डगमगाने लगा, तब भगवान विष्णु ने कछुए (कूर्म) का रूप लेकर उसे अपनी पीठ पर स्थिर किया। यह अवतार स्थिरता और सहयोग का प्रतीक है।
3. वराह अवतार : हिरण्याक्ष नामक राक्षस ने पृथ्वी को पाताल में डुबो दिया था। भगवान विष्णु ने विशाल वराह (सूअर) का रूप लेकर उसे दांतों पर उठाकर पुनः सतह पर स्थापित किया। यह अवतार पृथ्वी की पुनर्स्थापना का प्रतीक है।
4. नृसिंह अवतार : हिरण्यकशिपु द्वारा धर्म का दमन और भक्त प्रह्लाद पर अत्याचार के समय, भगवान विष्णु ने आधे नर-आधे सिंह का रूप धारण कर स्तंभ से प्रकट होकर उसका वध किया। यह अवतार धर्म की रक्षा और भक्त की विजय का प्रतीक है।
5. वामन अवतार : बलि राजा के अहंकार को विनम्रता से तोड़ने हेतु भगवान विष्णु ने वामन (बौने ब्राह्मण) का रूप लिया और तीन पग भूमि मांगकर सारा त्रिलोक अपने अधिकार में ले लिया। यह अवतार दान, विनम्रता और नीति का प्रतीक है।
6. परशुराम अवतार : जब क्षत्रियों में अधर्म बढ़ा और वे अत्याचारी बन गए, तब भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में जन्म लिया और अत्याचारियों का नाश कर धर्म की पुनर्स्थापना की। यह अवतार न्याय और क्रोध के नियंत्रण का प्रतीक है।
7. श्रीराम अवतार : त्रेता युग में अधर्मी रावण के वध और मर्यादा की पुनर्स्थापना हेतु भगवान विष्णु ने अयोध्या के राजकुमार श्रीराम के रूप में जन्म लिया। यह अवतार सत्य, त्याग और मर्यादा का प्रतीक है।
8. बलराम अवतार : श्रीकृष्ण के अग्रज बलराम को शक्ति और कृषि के देवता माना जाता है। वे धर्म की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण के सहायक बनकर अनेक दुष्टों का संहार करते हैं। यह अवतार बल, संयम और सेवा का प्रतीक है।
9. श्रीकृष्ण अवतार : द्वापर युग में अधर्मी कंस के अंत और महाभारत के युद्ध में धर्म की स्थापना हेतु श्रीकृष्ण ने अवतार लिया। उनका गीता उपदेश आज भी जीवन का मार्गदर्शन करता है। यह अवतार प्रेम, बुद्धि और कर्मयोग का प्रतीक है।
10. कल्कि अवतार (भविष्य में होने वाला) : जब कलियुग अपने चरम पर होगा, तब भगवान विष्णु कल्कि के रूप में घोड़े पर सवार होकर पापियों का नाश करेंगे और धर्म की पुनः स्थापना करेंगे। यह अवतार परिवर्तन और पुनर्जागरण का प्रतीक है।
दशावतार केवल पौराणिक कहानियाँ नहीं, बल्कि वे जीवन के विभिन्न आयामों में धर्म, नीति और चेतना के विकास की झलक हैं। ये अवतार दर्शाते हैं कि ईश्वर हर युग में अलग रूप लेकर मानवता की रक्षा हेतु अवश्य आते हैं।