आतंक के जवाब में भारत की निर्णायक रणनीति

पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने एक बार फिर उस कटु सच्चाई को सामने ला दिया है, जिससे भारत दशकों से जूझता रहा है पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद। इस हमले ने न केवल निर्दोष जानें लीं, बल्कि भारत की सामरिक और कूटनीतिक धैर्य की भी परीक्षा ली। किंतु इस बार भारत की प्रतिक्रिया अलग है अब केवल शोक या निंदा नहीं, बल्कि ठोस रणनीति, सतर्क निगरानी और सटीक जवाबी तैयारी।

भारत ने जिस तरह से अपने MQ-9B SeaGuardian ड्रोन, P-8I विमान और उपग्रहों को पाकिस्तान की गतिविधियों की निगरानी में झोंक दिया है, वह बताता है कि अब देश “रिएक्टिव” नहीं, बल्कि “प्रोएक्टिव” नीति पर चल रहा है। कराची बंदरगाह से लेकर अरब सागर तक भारतीय निगरानी का दायरा यह स्पष्ट करता है कि भारत अब सिर्फ सीमाओं पर ही नहीं, समुद्री और कूटनीतिक मोर्चों पर भी पाकिस्तान को घेरने में जुट गया है।

यह पहली बार है कि भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापारिक रिश्तों पर पूर्ण विराम लगा दिया है और सिंधु जल संधि को निलंबित कर उसके लिए जल संकट की चुनौती खड़ी कर दी है। पाकिस्तान जो पहले से ही ईंधन संकट से गुजर रहा है, अब अपने मित्र देशों की ओर देख रहा है, लेकिन भारत की उपग्रह निगरानी इन सहयोगों पर भी सख्त नजर रख रही है। इस रणनीति का संदेश साफ है भारत अब पाकिस्तान को किसी भी स्तर पर राहत नहीं देने वाला।

पाकिस्तानी नेतृत्व के हालिया बयान, चाहे वह रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का हो या सेना प्रमुख जनरल असीम मुनरो का, इस घबराहट को उजागर करते हैं। वे समझ चुके हैं कि भारत की “स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी” अब कागज़ी दस्तावेजों तक सीमित नहीं, बल्कि ज़मीन, समुद्र और आसमान में सक्रिय है।

भारत की इस नीति की दो बड़ी विशेषताएं हैं पहली, खतरे का पहले से पता लगाकर उसे निष्क्रिय करना; दूसरी, जबाव देने में कोई झिझक न रखना। यह बदलाव केवल सैन्य या खुफिया स्तर पर नहीं, बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी दिखाई दे रहा है। संवाद को न्यूनतम करना, पाकिस्तान को अलग-थलग करना, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी नाकेबंदी करना भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।

भारत की जनता के लिए यह नीति आश्वासन का संकेत है कि अब उनका देश आतंकवाद के प्रति कमजोर या सहनशील नहीं है। साथ ही, यह दुनिया को भी संदेश देता है कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के सवाल पर अब किसी तरह की ढिलाई नहीं बरतेगा।

अंत में, भारत के लिए यह समय धैर्य और दृढ़ता के संतुलन का है। जवाबी कार्रवाई में जल्दबाजी नुकसानदायक हो सकती है, लेकिन तैयारी और चौकसी की यह नई परिभाषा भारत को एक जिम्मेदार और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित कर रही है। पहलगाम के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि देश आतंकवाद की कमर तोड़ने तक अपनी नीति और इरादों में अडिग रहे।

- संपादक

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