विनोद कुमार झा
जब संसार सृजित हुआ, तब ब्रह्मांड की स्थिरता, गति, संरक्षण और विनाश के लिए अनेक रहस्यमयी शक्तियाँ पृथ्वी पर उतरीं। इन शक्तियों ने न केवल लोकों की व्यवस्था को संतुलित किया, बल्कि देवताओं, ऋषियों और मानवों के लिए अनगिनत रहस्यों का उद्घाटन भी किया। ये कोई साधारण आत्माएँ नहीं थीं बल्कि स्वयं ब्रह्माण्ड की आत्मा से उद्भूत, विशेष उद्देश्य के लिए उत्पन्न दैवीय चेतनाएँ थीं। इन्हें ही हम “दस दैवीय आत्माएँ”कहते हैं। इनका अस्तित्व स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और महेश की इच्छा से जुड़ा है, और इनकी कथाएं इतिहास, पुराण और मिथक के गलियारों में गूंजती हैं। आइए, संक्षिप्त रूप में जानें इन दस दिव्य आत्माओं के बारे में:-1. कामधेनु – इच्छा पूर्ण करने वाली दिव्य गौ
कामधेनु स्वर्ग की वह चमत्कारी गाय है जो हर इच्छा को पूर्ण करने की सामर्थ्य रखती है। यह दक्ष प्रजापति की पुत्री थी और वशिष्ठ जैसे ऋषियों की सेवा में रही। इसका दूध अमृत समान है और इससे अनेक रत्न एवं संतानें उत्पन्न हुईं। यह दिव्य आत्मा समृद्धि और पवित्रता की प्रतीक है।
2. गरुड़ – विष्णु वाहन और नागों का शत्रु
गरुड़ सूर्य के तेज से उत्पन्न एक विशाल दिव्य पक्षी है जो भगवान विष्णु का वाहन है। इसकी गति प्रकाश से तेज और शक्ति वज्र के समान है। यह सर्पों का शत्रु माना गया है और धर्म की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहता है।
3. संपाति-जटायु – त्याग और बलिदान की मूर्तियाँ
संपाति और जटायु दोनों भाई थे विशाल पक्षी, जो सूर्य तक उड़ान भर सकते थे। जटायु ने माता सीता की रक्षा के लिए रावण से युद्ध किया और वीरगति पाई। संपाति ने राम के दूतों को सीता का पता बताया। ये आत्माएं समर्पण और धर्म के लिए प्राण देने की प्रेरणा हैं।
4. उच्चै:श्रवा – स्वर्गीय घोड़ा, समुद्र मंथन की उपज
उच्चै:श्रवा एक सात सिरों वाला दिव्य घोड़ा है, जो समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ। इसकी चाल और सौंदर्य अनुपम है। यह देवताओं का वाहन है और अपनी पवित्रता व अपराजेयता के लिए जाना जाता है।
5. ऐरावत – इंद्र का ऐश्वर्यवान हाथी
ऐरावत भी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था। यह चार दांतों वाला विशाल श्वेत हाथी है जो इंद्र का वाहन बना। यह जलवर्षा, समृद्धि और शक्ति का प्रतीक है, तथा युद्ध में देवताओं की रक्षा करता है।
6. शेषनाग – वासुकि– धारण करने वाले दिव्य नाग
शेषनाग सम्पूर्ण पृथ्वी को अपने फनों पर धारण करने वाला नागराज है। वासुकि समुद्र मंथन की रस्सी बना और शिव के गले में वास करता है। ये दोनों सृष्टि की स्थिरता, ऊर्जा और रहस्य के रक्षक हैं।
7. रीझ (ऋज्र) – गंधर्वों की दिव्य चेतना
रीझ एक दिव्य आत्मा है जो संगीत, सौंदर्य और दिव्यता की मूर्ति है। यह गंधर्व जाति से संबंधित एक आत्मा है जो स्वर्गीय संगीतमय वातावरण और प्रेम भावनाओं की रचना करती है।
8. वानर– पराक्रम और भक्ति के प्रतीक
वानर, विशेष रूप से हनुमान, अंगद, नल-नील आदि, देवताओं की दिव्य आत्माएं हैं जो मानव रूप में जन्मे। ये शक्तिशाली, बुद्धिमान और अपराजेय योद्धा थे जिन्होंने राम की सेवा में अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया।
9. येति (यक्ष-यति) – हिमकाय प्रहरी
येति हिमालय की ऊंचाइयों में निवास करने वाली रहस्यमयी आत्मा है। यह शक्ति, गंभीरता और प्रकृति की कठोरता का प्रतिनिधित्व करता है। कुछ परंपराओं में इसे तपस्वी आत्मा और शिव का अनुचर भी माना गया है।
10. मकर – जल का रहस्य और शक्ति
मकर एक रहस्यमयी जलीय प्राणी है जो देवी गंगा और वरुण का वाहन माना जाता है। यह आधा मछली और आधा मगरमच्छ जैसा है और जल के गूढ़ रहस्यों तथा जीवनदायिनी शक्ति का प्रतीक है।
इन दस दैवीय आत्माओं की कथा कोई मात्र लोककथा नहीं, बल्कि ब्रह्मांड की संतुलनकारी चेतनाओं की जीवित स्मृतियाँ हैं। ये आत्माएं न केवल धर्म, शक्ति और भक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं, बल्कि आज भी लोकविश्वास, साधना और पुराणों के माध्यम से मानवता के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं।