जीवन को बदल देती है मां वैष्णो देवी यात्रा

विनोद कुमार झा

भारत वर्ष सदा से आस्था, आध्यात्म और तीर्थयात्राओं की भूमि रहा है। यहाँ यात्राएँ केवल भौगोलिक गंतव्य नहीं होतीं, बल्कि आत्मा की पुकार होती हैं। जब किसी को जीवन में कोई मार्ग नहीं सूझता, जब हृदय पीड़ा से घिर जाता है, या जब केवल कृतज्ञता व्यक्त करनी होती है, तब लोग माँ वैष्णो देवी की शरण में जाते हैं।

माँ वैष्णो देवी का मंदिर, जम्मू-कश्मीर के कटरा नगर से लगभग 13 किलोमीटर की ऊँचाई पर, त्रिकूट पर्वत की गुफाओं में स्थित है। यह मंदिर न केवल भारत का बल्कि समस्त विश्व के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का महाशक्तिपीठ है।

पौराणिक पृष्ठभूमि: माँ वैष्णो का उद्गम और उद्देश्य

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, माँ वैष्णो देवी त्रिदेवी – माँ काली (शक्ति), माँ लक्ष्मी (धन-संपत्ति) और माँ सरस्वती (ज्ञान) – की संयुक्त शक्ति हैं। जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ा, राक्षसों ने अत्याचार किया और स्त्रियों, संतों पर अत्याचार होने लगे, तब इन तीनों देवियों ने मिलकर एक दिव्य कन्या का रूप धारण किया, जो मानव रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुईं यही थीं माँ वैष्णवी।

बचपन से ही वह तपस्विनी रहीं, उन्होंने भक्ति, सेवा और साधना को ही अपना मार्ग बनाया। जब राक्षस भैरोनाथ ने उनका पीछा किया, तब वह त्रिकूट पर्वत की ओर चलीं। वहाँ गुफाओं में वर्षों साधना करने के पश्चात, उन्होंने भैरो का वध किया और उसी पवित्र गुफा में अपनी उपस्थिति का अनुभव कराया। तभी से यह स्थल एक महाशक्ति पीठ के रूप में पूजनीय हो गया।

कटरा से माँ के दरबार तक  एक भक्तिपूर्ण यात्रा

कटरा नगर से माँ के मंदिर तक की चढ़ाई लगभग 13 किलोमीटर की है, जो भक्त अपने-अपने सामर्थ्य अनुसार पैदल, घोड़े, पालकी, हेलीकॉप्टर अथवा नव निर्मित रोपवे से करते हैं।

यात्रा के प्रमुख पड़ाव इस प्रकार हैं:-

1. बाणगंगा: जहाँ से माँ ने अपने धनुष-बाण से गंगा की धारा निकाली। यात्री इसी स्थान से यात्रा प्रारंभ करते हैं।

2. चरनपादुका : यहाँ माँ के पगचिह्न हैं, जहां भक्त श्रद्धा से शीश नवाते हैं।

3. अर्धकुंवारी (गार्भ-जून) : यह वह पवित्र गुफा है जहाँ माँ ने 9 माह तक तपस्या की थी। मान्यता है कि यदि यहां से दर्शन किए जाएं, तो बाकी यात्रा स्वतः सफल हो जाती है।

4. हिमकुटी और संजी छत्त : ये विश्राम स्थल हैं, जहाँ यात्री थकान मिटा सकते हैं।

5. भवन : यही है माँ का मुख्य मंदिर, जहाँ तीन पिंडियों के रूप में माँ काली, लक्ष्मी और सरस्वती का दर्शन होता है।

भक्तजन “ जय माता दी ” के उद्घोष से पूरा वातावरण भक्तिमय कर देते हैं। रात-दिन चलने वाली यह यात्रा थकान से परे केवल श्रद्धा और विश्वास की ऊर्जा से संचालित होती है।

धार्मिक अनुभव और दिव्यता

जब भक्त मंदिर की पवित्र गुफा में प्रवेश करता है, तो सांसें रुक जाती हैं, आँखें छलक पड़ती हैं, और रोम-रोम में एक अद्भुत कंपन होता है। वहाँ तीन पिंडियाँ हैं जो माँ के तीन स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं:-

बाईं ओर की पिंडी : माँ काली – शक्ति

दाईं ओर की पिंडी : माँ सरस्वती – ज्ञान

बीच की पिंडी : माँ लक्ष्मी – संपन्नता

इन पिंडियों के दर्शन मात्र से मन के सब संशय दूर हो जाते हैं। ऐसा लगता है जैसे माँ स्वयं सामने हैं, सब कुछ जानती हैं, और केवल स्नेह की दृष्टि डालकर सारे दुःख हर लेती हैं।

भैरो बाबा मंदिर  यात्रा की पूर्णता : माँ का दर्शन करने के पश्चात अंतिम चरण होता है भैरोनाथ मंदिर का, जो मुख्य मंदिर से लगभग 2.5 किलोमीटर ऊपर है। मान्यता है कि जब माँ ने भैरो का वध किया, तब उसका सिर इस स्थान पर गिरा और अंतिम समय में माँ से क्षमा याचना की। माँ ने उसे मोक्ष प्रदान किया और वचन दिया कि उनके दर्शन तब तक पूर्ण नहीं माने जाएंगे जब तक भैरोनाथ के दर्शन न किए जाएं।

पर्यटन और प्राकृतिक सौंदर्य : वैष्णो देवी की यात्रा न केवल आध्यात्मिक है, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत आकर्षक है। ऊँचे पर्वत, हरियाली, बादलों से घिरा आकाश, और स्वच्छ वातावरण यात्रियों को मानसिक शांति देता है। यात्रा मार्ग में निर्मित सुंदर रेस्ट पॉइंट्स, कैफेटेरिया, शुद्ध जल की व्यवस्था, चिकित्सा केंद्र और आधुनिक रोपवे सुविधा इसे एक सुविधाजनक तीर्थस्थान बनाते हैं।

कैसे पहुँचें : जम्मू रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा मुख्य प्रवेश द्वार हैं। यहाँ से कटरा तक सीधी टैक्सी, बसें और ट्रेन की सुविधा है।

यात्रा का समय: सालभर दर्शन हो सकते हैं, लेकिन मार्च से अक्टूबर का समय मौसम के अनुसार सर्वोत्तम माना जाता है।

विशेष समय : नवरात्रों के समय यहाँ विशेष मेले और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है, जब लाखों श्रद्धालु यहाँ उपस्थित होते हैं।

माँ के दरबार की महिमा

1. हर मनोकामना पूर्ण करने वाला स्थान : मान्यता है कि जो भी श्रद्धा से माँ से कुछ मांगता है, उसकी इच्छा अवश्य पूर्ण होती है।

2. दुख हरने वाली देवी : बीमारी, दुःख, क्लेश, शत्रु बाधा, पारिवारिक संकट आदि माँ की कृपा से समाप्त हो जाते हैं।

3. सच्चे भक्त की पुकार सुनती हैं माँ : अनेक चमत्कारी घटनाएँ इस बात की साक्षी हैं कि माँ स्वप्न या संकेत के रूप में अपने भक्तों को बुलाती हैं।

वैष्णो देवी की यात्रा केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि आत्मा की एक पूर्ण पुनर्जन्म है। इस यात्रा में थकावट भी आनंदित करती है, भीड़ भी शांति देती है, और साधारण दर्शन भी दिव्यता से भर देता है। यदि आपने अभी तक माँ वैष्णो देवी के दर्शन नहीं किए हैं, तो अपने जीवन के कुछ दिन इस पवित्र यात्रा को अवश्य समर्पित करें। यह केवल एक यात्रा नहीं, अपने अस्तित्व से जुड़ने का माध्यम है एक ऐसा अनुभव जो जीवन भर आपके साथ रहेगा।

जय माता दी!


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