युवाओं के सपने

विनोद kumar झा

किसी गाँव में, जहाँ मिट्टी की महक और खेतों की हरियाली हर दिल को सुकून देती थी, वहाँ एक युवा लड़का, अर्जुन, और एक लड़की, काव्या, अपने बड़े-बड़े सपनों को दिल में सजाए रहते थे। दोनों की आँखों में चमक और दिल में दुनिया को बदलने की तमन्ना थी। अर्जुन एक वैज्ञानिक बनकर नए आविष्कार करना चाहता था, जबकि काव्या एक लेखिका बनकर समाज के लिए प्रेरणादायक कहानियाँ लिखना चाहती थी।  

 संघर्ष की शुरुआत  : अर्जुन का परिवार साधारण किसान था। खेतों की फसल पर उनकी आजीविका निर्भर थी। वहीं काव्या का परिवार भी सीमित साधनों के बावजूद बेटियों को पढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा था। लेकिन समाज की पुरानी सोच और संसाधनों की कमी दोनों के रास्ते में बड़ी चुनौती थी।  अर्जुन अपने खाली समय में नदी किनारे बैठकर किताबें पढ़ता और काव्या पुराने अखबारों के पन्नों से प्रेरणा लेती। दोनों की मुलाकात गाँव के पुस्तकालय में हुई। एक दिन काव्या ने अर्जुन से पूछा,  

तुम्हारा सपना क्या है?”  

अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं एक ऐसा आविष्कार करना चाहता हूँ, जिससे गाँव के हर घर में बिजली और पानी पहुँच सके। और तुम?”  

काव्या ने जवाब दिया, “मैं ऐसे शब्द लिखना चाहती हूँ, जो लोगों को आगे बढ़ने की ताकत दें।”  

 सपनों के पीछे भागना  : समय बीतता गया। दोनों ने शहर जाकर पढ़ाई करने का सपना देखा। लेकिन जब अर्जुन ने अपने पिता से बात की, तो उन्हें डर था कि अगर अर्जुन शहर चला गया तो खेतों का काम कौन करेगा। वहीं काव्या को उसकी माँ ने समझाया कि लड़की का जीवन घर-गृहस्थी सँभालने के लिए होता है, ना कि किताबें लिखने के लिए।  

लेकिन दोनों ने हार नहीं मानी। अर्जुन ने खेती के काम के साथ-साथ पढ़ाई जारी रखी। उसने गाँव के बच्चों को ट्यूशन देकर पैसे जमा किए। काव्या ने रातों को जागकर लिखाई जारी रखी और अपनी कविताएँ अखबारों में भेजनी शुरू कीं।  

 सफलता की ओर कदम  : कुछ सालों बाद अर्जुन ने एक ऐसा सोलर डिवाइस बनाया, जिससे गाँव के खेतों में पानी की समस्या खत्म हो गई। यह आविष्कार न केवल उनके गाँव, बल्कि आसपास के गाँवों में भी उपयोगी साबित हुआ। वहीं, काव्या की कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित होने लगीं। उसकी लेखनी ने समाज में बदलाव की लहर पैदा कर दी।  

दोनों के संघर्ष और मेहनत ने उन्हें पहचान दिलाई। अर्जुन एक मशहूर वैज्ञानिक बना, और काव्या को एक प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला। वे दोनों अपने सपनों को पूरा करने के साथ-साथ अपने गाँव लौटे और वहाँ की नई पीढ़ी को सपने देखने और उन्हें साकार करने की प्रेरणा देने लगे।  

अर्जुन और काव्या की कहानी इस बात का सबूत है कि अगर इंसान अपने सपनों पर विश्वास करे और उनके लिए मेहनत करे, तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती। यह कहानी हर युवा को यह सिखाती है कि सपने सिर्फ देखने के लिए नहीं होते, उन्हें जीने और साकार करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है।

1 Comments

  1. Guru ji dono story bhut hi badhiya or aage badhane ki parena diti h ji

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