Diwali 2024 : दीपों का महापर्व, सुख-समृद्धि और शांति का है प्रतीक

 विनोद kumar झा

दिवाली, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। यह पांच दिनों का उत्सव धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर समाप्त होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को दिवाली का पर्व पूरे देश में बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष भी लोग दिवाली की तैयारियों में पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ जुटे हुए हैं।

दिवाली के दौरान घरों में साफ-सफाई, सजावट और रंगोली बनाने की विशेष परंपरा है। लोग अपने घरों को दीपक, रंग-बिरंगी लाइट, फूलों और रंगोली से सजाते हैं, ताकि माता लक्ष्मी का स्वागत कर सकें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दिवाली की रात मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर आती हैं और उन घरों में वास करती हैं, जहां स्वच्छता और सजावट होती है। इस दिन स्थिर लग्न और प्रदोषकाल में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

दिवाली पर पूजा के साथ दान का भी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से जीवन में सुख, शांति और धन का वास होता है। खासकर, राशि अनुसार दान करने से माता लक्ष्मी विशेष कृपा प्रदान करती हैं। दान में अन्न, कपड़े, दीपक, मिठाई और अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल होती हैं, जिन्हें जरूरतमंदों में बांटकर पुण्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है। 

दिवाली का यह महापर्व न केवल भक्ति, सजावट और प्रकाश का संदेश देता है, बल्कि यह परोपकार, दान और सद्भावना की भावना को भी बल देता है। अतः दीपावली का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

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