लोक आस्था का महापर्व छठ: जाने इतिहास और सही तिथियाँ

विनोद kumar झा

लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत सतयुग और द्वापर युग से मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता सीता और द्रौपदी ने भी इस व्रत को रखकर अस्ताचलगामी और उद्याचलगामी सूर्य की उपासना की थी। यह पर्व बिहार, झारखंड, दिल्ली, और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। अब यह पर्व भारतीय मूल के लोगों द्वारा विदेशों में भी बड़े पैमाने पर मनाया जाने लगा है।

छठ महापर्व की तिथियाँ 


हिंदू पंचांग के अनुसार, छठ महापर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और नहाय-खाय से शुरू होकर उद्याचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होता है। भक्तजन इस अवसर के लिए घाटों की साफ-सफाई में लगे रहते हैं। इस वर्ष छठ पूजा की तिथियाँ निम्नलिखित हैं:

- नहाय-खाय (कदुआ भात ): 5 नवंबर, मंगलवार  

- खरना : 6 नवंबर, बुधवार  

- शाम का अर्घ्य : 7 नवंबर, गुरुवार  

- सुबह का अर्घ्य : 8 नवंबर, शुक्रवार  

छठ महापर्व का पौराणिक इतिहास

छठ महापर्व का इतिहास सतयुग और द्वापर युग से जुड़ा है। कहा जाता है कि माता सीता और भगवान श्रीराम ने भी सूर्य देव की आराधना के लिए छठ व्रत रखा था। इसी प्रकार, द्वापर युग में कर्ण और पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी सूर्य उपासना की थी।

राम-सीता और छठ पूजा: पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण वध के पश्चात् और 14 वर्षों के वनवास के बाद श्रीराम और माता सीता अयोध्या लौटे। रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों ने उन्हें राजसूय यज्ञ करने की सलाह दी। मुग्दल ऋषि के आदेश पर माता सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्य देव की उपासना और व्रत किया। उन्होंने छह दिन मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर सूर्य देव की उपासना की, जिससे इस पर्व का संबंध रामायण काल से भी जुड़ गया।

महाभारत में छठ पर्व का महत्व : महाभारत में भी छठ पर्व का महत्व वर्णित है। जब पांडव अपना राज्य जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने छठ व्रत किया। सूर्य देव की कृपा से पांडवों को पुनः अपना राज्य वापस मिल सका।

कर्ण और सूर्य उपासना : महाभारत की एक अन्य कथा के अनुसार, कर्ण सूर्य देव के परम भक्त थे। वे प्रतिदिन सूर्योदय के समय कमर तक जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते थे। माना जाता है कि कर्ण के कारण ही सूर्य उपासना की परंपरा शुरू हुई, और सूर्य देव के आशीर्वाद से वे महान योद्धा बने। इस तरह, छठ महापर्व का इतिहास प्राचीन युगों से लेकर विभिन्न पौराणिक पात्रों की कथाओं से जुड़ा हुआ है।

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