विनोद कुमार झा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2025 के अंतिम# ‘मन की बात’ संबोधन ने बीते वर्ष की उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य की दिशा तीनों को एक साथ सामने रखा। यह संबोधन केवल सरकारी उपलब्धियों का लेखा-जोखा नहीं था, बल्कि एक ऐसे भारत की तस्वीर थी जो सुरक्षा, विज्ञान, खेल, संस्कृति और युवाशक्ति के बल पर वैश्विक मंच पर नए आत्मविश्वास के साथ खड़ा है। सबसे पहले देश की #सुरक्षा का प्रश्न। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि आज का भारत अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करता। पहलगाम आतंकी हमले के बाद सटीक और निर्णायक कार्रवाई ने न केवल देशवासियों में भरोसा जगाया, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी दिया कि भारत अब प्रतिक्रियात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक नीति पर चलता है। यह बदलते भारत की सुरक्षा-नीति का प्रतीक है।
#खेलों के क्षेत्र में 2025 ऐतिहासिक रहा। पुरुष क्रिकेट टीम की चैंपियंस ट्रॉफी जीत, महिला क्रिकेट टीम की पहली विश्व कप विजय, महिला दृष्टिबाधित टीम की टी20 विश्व कप जीत और पैरा एथलीटों के अंतरराष्ट्रीय मंच पर पदक—ये सभी उपलब्धियां भारत की खेल संस्कृति के विस्तार और समावेशी विकास का प्रमाण हैं। खेल अब केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का विषय बन चुके हैं। #विज्ञान और अंतरिक्ष में भी भारत ने लंबी छलांग लगाई। शुभांशु शुक्ला का अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचना न केवल तकनीकी सफलता है, बल्कि उस युवा भारत की आकांक्षाओं का प्रतीक है जो अब सितारों तक पहुंचने का साहस रखता है। नवाचार, स्टार्टअप और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका ने वैश्विक समुदाय को प्रभावित किया है।
प्रधानमंत्री के संबोधन का सबसे सशक्त पक्ष रहा युवाशक्ति पर भरोसा। ‘विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग’ और ‘स्मार्ट इंडिया हैकथॉन’ जैसे मंच यह दिखाते हैं कि सरकार युवाओं को केवल सुन नहीं रही, बल्कि नीति निर्माण में सहभागी बना रही है। 13 लाख से अधिक छात्रों की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि भारत का युवा केवल प्रश्न नहीं पूछता, समाधान भी देता है चाहे वह साइबर सुरक्षा हो, डिजिटल बैंकिंग, कृषि या यातायात जैसी वास्तविक समस्याएं। संस्कृति और आस्था के क्षेत्र में भी 2025 यादगार रहा। प्रयागराज महाकुंभ और अयोध्या में राम मंदिर पर ध्वजारोहण जैसे आयोजन भारत की सांस्कृतिक निरंतरता और आध्यात्मिक शक्ति को वैश्विक मंच पर स्थापित करते हैं। साथ ही, ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होना राष्ट्रीय चेतना के पुनर्जागरण का प्रतीक है।
#पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीव सुरक्षा की दिशा में चीतों की बढ़ती संख्या जैसे प्रयास यह संकेत देते हैं कि विकास और संरक्षण को साथ-साथ आगे बढ़ाया जा सकता है। निस्संदेह, 2025 चुनौतियों से भी अछूता नहीं रहा प्राकृतिक आपदाएं और कठिन परिस्थितियां सामने आईं। लेकिन प्रधानमंत्री के शब्दों में, यह वर्ष भारत को और अधिक आत्मविश्वास देकर गया। यही आत्मविश्वास 2026 के लिए नई उम्मीदों और संकल्पों की नींव बनेगा। अंततः, यह संपादकीय इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि 2025 भारत के लिए केवल उपलब्धियों का वर्ष नहीं, बल्कि दिशा निर्धारण का वर्ष रहा। सुरक्षा में दृढ़ता, विज्ञान में उड़ान, खेलों में शान, संस्कृति में गर्व और युवाओं में भविष्य यही वह आधार है जिस पर भारत 2026 और आगे के वर्षों की इमारत खड़ी करने को तैयार है।

