-मीडिया से एसडीएम के सुपरीडेंट बोले,आयो चाय पिलाते और लिखकर देते है कितना लेते हैै सुविधा शुल्क
-ड्राइविंग लाइसेंस,मार्किंग व अन्य कामों में ली जाती है रिश्वत
-समय पर नहीं आते कर्मचारी, लोगों को होना पड़ता है परेशान जनता में बढ़ा आक्रोश, 'सुविधा शुल्क बना मजबूरी का दूसरा नाम
कालांवाली,(सुरेश जोरासिया)। कालांवाली उपमंडल कार्यालय (एसडीएम ऑफिस) इन दिनों भ्रष्टाचार और लापरवाही का अड्डा बनता जा रहा है। सरकारी सेवाओं का लाभ लेने आने वाले लोगों को हर कदम पर घूसखोरी और उदासीनता का सामना करना पड़ रहा है। चाहे बात ड्राइविंग लाइसेंस की हो, गाड़ी मार्किंग की या फिर अन्य प्रमाण पत्रों की,हर काम के लिए कथित तौर पर एक 'निर्धारित दर तय है। बिना सुविधा शुल्क दिए कोई भी कार्य समय पर नहीं होता। भरोसेमंद सूत्रों की माने तो लाईसेंस लर्रिंग के लिए 600 रूपए और पक्के लाईसेंस के लिए 700 से 800 रूपए और इसी प्रकार मार्र्किंग बाहर से हो तो 500 रूपए व लोकल का 300 रूपए सुविधा शुल्क निर्धारित हैै और सूत्रों की माने तो उक्त राशि को कई हिस्सों में बांटा जाता है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि एसडीएम कार्यालय में आमजन को सेवाएं देने की बजाय उनसे 'सेवा शुल्क मांगने का चलन बन चुका है। जनता को घंटों दफ्तर के चक्कर काटने पड़ते हैं, लेकिन बिना रिश्वत दिए फाइलें आगे नहीं बढ़तीं। सूत्रों की माने तो लार्ईसेंस बनाने के लिए वाहन चलाने सेे लेकर ऑन पेपर और सभी कार्यों को जोड़ा जाता है और उसी के नाम पर सुविधा शुल्क लिया जाता है।
सुविधा शुल्क बना अनिवार्य बिस्सा : जानकारी के अनुसार, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने, वाहन फिटनेस मार्किंग और अन्य सरकारी दस्तावेजों के कार्यों में खुलेआम दलाल सक्रिय हैं। ये दलाल दफ्तर के बाहर ही लोगों को 'सुविधा शुल्क की जानकारी दे देते हैं। कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति सीधे आवेदन करता है, तो या तो फाइल लटकाई जाती है या फिर कमियों का बहाना बनाकर उसे बार-बार बुलाया जाता है। एक स्थानीय युवक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया मैंने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए तीन बार आवेदन किया। हर बार कोई ना कोई कमी बताई गई।आखिरकार एक कर्मचारी ने इशारे-इशारे में कहा कि 'थोड़ा खर्चा करो, काम हो जाएगा। मजबूरी में पैसे देने पड़े, तभी काम हुआ।
समय पर नहीं आते कर्मचारी, जनता का बर्बाद होता समय एसडीएम ऑफिस में समय की पाबंदी नाम की कोई चीज़ नहीं दिखती। कई बार 9 से 10 बजे खुलने वाले दफ्तर में 11 बजे तक अधिकारी और कर्मचारी नहीं पहुंचते। सुबह-सुबह अपने जरूरी काम लेकर पहुंचने वाले लोग घंटों इंतजार करते रहते हैं। एक बुजुर्ग किसान ने बताया मैं जमीन के रिकॉर्ड से जुड़ा कागज निकलवाने सुबह 9:30 बजे आया था। दो घंटे तक बैठा रहा, लेकिन कोई नहीं मिला। जब कर्मचारी आया, तो उसने कहा कि दो सौ रुपये दो, तभी काम होगा।
जनता में बढ़ रहा रोष, प्रशासन से कार्रवाई की मांग
लोगों का कहना है कि यह स्थिति लंबे समय से बनी हुई है, लेकिन कोई अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहा। हर विभाग में कुछ ऐसे कर्मचारी हैं जो आम जनता से खुली लूट कर रहे हैं। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संस्थाओं ने जिला प्रशासन से इस मामले की जांच की मांग की है। यह कार्यालय जनता की सुविधा के लिए है, न कि जनता को लूटने के लिए एक व्यापारी ने कहा। हर काम के लिए निर्धारित दर सुनकर शर्म आती है। अधिकारी चाहें तो इस गड़बड़ी को खत्म कर सकते हैं, लेकिन ऊपर तक सांठगांठ होने से सब कुछ दबा दिया जाता है।
सूत्रों का दावा,बिना घूस के नहीं चलता सिस्टम
सूत्रों के अनुसार, एसडीएम ऑफिस में कुछ कर्मचारियों की आपसी समझ से काम का 'रेट सिस्टम चल रहा है। आवेदन करने से लेकर मंजूरी तक की हर प्रक्रिया में दलालों की भूमिका तय है। आम व्यक्ति जब इस चक्र में फंसता है, तो या तो वह पैसे देता है या महीनों तक फाइलों के चक्कर लगाता है। कुछ सूत्रों ने यहां तक बताया कि मार्किंग और फिटनेस जैसी सेवाओं में दलालों की मिलीभगत से तय राशि का कुछ हिस्सा सीधे अंदर पहुंचा दिया जाता है। इससे न केवल सरकार की छवि खराब हो रही है, बल्कि ईमानदार कर्मचारियों की भी बदनामी हो रही है। त्यौहारों के मौसम में और बढ़ा भ्रष्टाचार का असर दीवाली नजदीक होने के चलते इन दिनों एसडीएम कार्यालय में भीड़ बढ़ गई है। लोग अपने वाहन व ड्राइविंग संबंधी कार्य निपटाने के लिए आ रहे हैं, लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही और रिश्वतखोरी से सभी परेशान हैं। कई लोग यह कहने से भी नहीं झिझके कि दिवाली से पहले कर्मचारियों की भी दिवाली मन रही है,जनता के पैसों से।
जनता की उम्मीद,ईमानदारी लौटे दफ्तर में लोगों का कहना है कि वे सरकार से केवल यह चाहते हैं कि एसडीएम कार्यालय में पारदर्शिता लाई जाए। अगर कोई सुविधा शुल्क के बिना काम करवाना चाहे, तो उसे परेशानी न झेलनी पड़े। सरकार भले ही डिजिटल इंडिया की बात करती हो, लेकिन यहां तो अब भी सब कुछ पैसे के दम पर चलता है। हम चाहते हैं कि एक हेल्प डेस्क बने जहां हर काम की फीस और समय सीमा लिखी हो ताकि जनता को भ्रमित न किया जा सके। कालांवाली एसडीएम ऑफिस में व्याप्त यह भ्रष्टाचार न केवल सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि जनता के विश्वास को भी कमजोर कर रहा है। यदि प्रशासन ने समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए, तो यह 'भ्रष्टाचार का गढ़ बनकर क्षेत्र की बदनामी का कारण बन सकता है। जनता की उम्मीद अब केवल यही है कि पारदर्शिता और जवाबदेही लौटे,ताकि कालांवाली सच में 'सुशासन की मिसाल बन सके।
हौंसले बुलंद बोले लिखकर देते है
कालांवाली एसडीएम के सुपरीडेंंट हरनेक सिंह से बात की तो उन्होंने मीडिया के लोगों से कहा कि आयो बैठकर बात करते हैै,चाय पिलाते है और आपको लिखकर देते है कि क्या लेते है। खैर इतने हौंसले बुलंद है और सरकार व उच्च अधिकारी कह रहे है कि भ्रष्टाचार मुक्त सरकार व प्रशासन है। दूसरी और घूस को मीडिया में लिखकर देेने को तैयार है।
छायाचित्र उपमंडल कार्यालय का दृश्य