विनोद कुमार झा
हर वर्ष 5 सितंबर को हम शिक्षक दिवस मनाते हैं। यह दिन केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि उस आदर्श का स्मरण है, जो समाज को दिशा देता है। शिक्षक केवल पाठ्यक्रम पढ़ाने वाले व्यक्तित्व नहीं होते, वे जीवन के निर्माता और समाज की रीढ़ होते हैं। उनकी भूमिका किसी भी राष्ट्र के भविष्य को गढ़ने में उतनी ही महत्वपूर्ण होती है, जितनी मिट्टी को आकार देने में कुम्हार की होती है।
शिक्षक के बिना शिक्षा अधूरी है, और शिक्षा के बिना संस्कार अधूरे हैं। एक शिक्षक न केवल किताबों का ज्ञान देता है बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाता है। वे हमें यह समझाते हैं कि ज्ञान केवल रोजगार प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण का आधार है। जैसे दीपक अंधकार को दूर करता है, वैसे ही शिक्षक अज्ञान को मिटाकर ज्ञान का दीप प्रज्वलित करते हैं।
भारतीय संस्कृति में “गुरु” का स्थान सदैव सर्वोच्च रहा है। वेदों और उपनिषदों में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान दर्जा दिया गया है। गुरु ही वह शक्ति है, जो शिष्य की अंतर्निहित प्रतिभा को पहचानकर उसे सही मार्ग पर ले जाती है। यदि जीवन को एक विशाल सागर मानें तो शिक्षक ही वह नाविक हैं, जो हमें किनारे तक सुरक्षित पहुंचाते हैं।
आज के युग में शिक्षा केवल तकनीकी ज्ञान तक सीमित नहीं रह गई है। समाज को ऐसे शिक्षक चाहिए जो बच्चों में संवेदनशीलता, ईमानदारी और नैतिक मूल्यों का संचार करें। एक योग्य शिक्षक वही है, जो विद्यार्थियों को केवल अंक प्राप्त करने के लिए नहीं, बल्कि एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करे। आधुनिकता और तकनीक के बीच यदि मानवीयता और संस्कार जीवित हैं, तो इसका श्रेय शिक्षकों को ही जाता है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जिनकी जयंती पर यह दिन मनाया जाता है, स्वयं एक महान शिक्षक और दार्शनिक थे। उनका मानना था कि शिक्षक समाज का सच्चा मार्गदर्शक होता है। जब उनके शिष्यों ने उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा जताई तो उन्होंने इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया। यह उनकी विनम्रता और शिक्षण के प्रति समर्पण का परिचायक है।
शिक्षक दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपने गुरुओं का सम्मान करना चाहिए। आज जब समाज भौतिक प्रगति की ओर तेजी से बढ़ रहा है, तब भी शिक्षक की भूमिका कम नहीं हुई है। वे आज भी बच्चों के मन में सपने जगाते हैं, उनकी जिज्ञासाओं का समाधान करते हैं और उन्हें जीवन की चुनौतियों से लड़ने का साहस देते हैं।
अंततः कहा जा सकता है कि शिक्षक ही वह दीपक हैं, जो स्वयं जलकर दूसरों का जीवन आलोकित करते हैं। वे हमें केवल अक्षर ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि संस्कारों का बीज भी बोते हैं। इसलिए इस दिन हमें न केवल अपने शिक्षकों को नमन करना चाहिए, बल्कि उनके आदर्शों को जीवन में अपनाकर समाज को बेहतर दिशा देने का संकल्प भी लेना चाहिए।
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।