अंधकार पर विजय की प्रतीक देवी है कालरात्रि माता

 विनोद कुमार झा

नवरात्रि का सातवां दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप  मां कालरात्रि  की उपासना को समर्पित है। यह दिन शक्ति, साहस और भक्ति का अद्भुत संगम होता है। मां कालरात्रि का रूप भले ही भयानक प्रतीत होता हो, परंतु वे अपने भक्तों को भय, शत्रु और अंधकार से मुक्ति दिलाने वाली “शुभंकरी” देवी हैं। उनका यह स्वरूप हमें यह सिखाता है कि भय और अंधकार का सामना करने वाला ही सच्चा विजेता होता है।

 विनाश में छिपी सृजन की शक्ति : मां कालरात्रि का शरीर काला है, बाल बिखरे हुए हैं और गले में बिजली के समान दमकता हार है। तीन नेत्रों से अग्निज्वालाएँ निकलती हैं। वे चार भुजाओं वाली हैं  दाहिने हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा, जबकि बाएं हाथों में वज्र और तलवार धारण करती हैं। उनका वाहन गर्दभ (गधा) है, जो सहनशीलता और दृढ़ता का प्रतीक है। उनका यह रूप इस सत्य को दर्शाता है कि विनाश के बिना सृजन संभव नहीं, और अंधकार के बिना प्रकाश का मूल्य समझ नहीं आता।

भय और अज्ञान का अंत : सप्तम दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति सभी प्रकार के भय और संकटों से मुक्त होता है। ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कि उनकी कृपा से ग्रहदोष शांत होते हैं, और जीवन में शांति, स्थिरता और समृद्धि आती है। मां कालरात्रि की आराधना विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है जो भय, निराशा या मानसिक तनाव से जूझ रहे हों।

 ध्यान मंत्र : एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

यह ध्यान मंत्र मन को शक्ति और साहस से भर देता है तथा नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है।

या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”

अर्थात् जो देवी सम्पूर्ण प्राणियों में कालरात्रि के रूप में विद्यमान हैं, जो भय, अंधकार और अधर्म का विनाश करती हैं  उन देवी को बार-बार नमन।

 मां कालरात्रि की पूजा विधि

प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। देवी कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप प्रज्वलित करें। उन्हें गुड़, तिल, या नारियल का भोग लगाएं। ध्यान मंत्र या देवी स्तुति का पाठ करें और दिन भर मन में “जय माता दी” का स्मरण करें। यह पूजा मन को नकारात्मक विचारों से मुक्त कर आत्मविश्वास और श्रद्धा का संचार करती है।

 जीवन के लिए संदेश : मां कालरात्रि हमें सिखाती हैं कि “भय से भागो नहीं, उसका सामना करो; क्योंकि उसी के पार विजय का प्रकाश है।”उनका काला रूप हमें यह स्मरण कराता है कि जीवन में हर अंधकार, हर कठिनाई, हर संकट केवल हमें मजबूत बनाने आता है। असली भक्ति वही है जो अंधकार में भी प्रकाश खोज ले।

नवरात्रि का सातवां दिन केवल पूजा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है  अपने भीतर के अंधकार को पहचानने और उसे मिटाने की। “जिसने अपने भीतर के भय पर विजय पा ली, उसने संसार जीत लिया।”इस नवरात्रि, मां कालरात्रि से यही प्रार्थना करें कि  “हे मां! मेरे जीवन से अज्ञान और भय का अंधकार मिटा दो,और मेरे हृदय में भक्ति और प्रकाश का दीप जला दो।” 

जय कालरात्रि माता

Post a Comment

Previous Post Next Post