रक्षाबंधन का उल्लास: हापुड़ के बाजारों में सजी भाई-बहन के प्यार की राखियां

 आबिद हुसैन विशेष संवाददाता

हापुड़ । प्रेम, रक्षा और स्नेह के प्रतीक पर्व रक्षाबंधन की आहट से हापुड़ के बाजार इन दिनों पूरी तरह रौनक से सराबोर हैं। भाई-बहन के रिश्ते की डोर को और भी मजबूत करने वाला यह पर्व इस बार 9 अगस्त को मनाया जाएगा। त्योहार के पहले ही बाजारों की चहल-पहल और दुकानों पर उमड़ती भीड़ इस बात की गवाही दे रही है कि परंपरा के साथ-साथ अब सौंदर्य और भावनात्मक जुड़ाव भी राखियों की खरीद में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

स्वदेशी राखियों की बढ़ती डिमांड :  इस वर्ष बाजारों में स्वदेशी राखियों की मांग सबसे अधिक देखी जा रही है। रुद्राक्ष, शिवलिंग, डमरू, त्रिशूल, ओम, तिलक और अन्य धार्मिक प्रतीकों से सजी राखियां बहनों के बीच खासा आकर्षण बनी हुई हैं। इन राखियों की कीमत 50 रुपये से 400 रुपये के बीच है, और इन्हें धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक जुड़ाव के प्रतीक के तौर पर पसंद किया जा रहा है।

बच्चों के लिए कार्टून और लाइट वाली राखियां : बच्चों की राखियों की बात करें तो बाजार में इस बार छोटा भीम, डोरेमॉन, बेन टेन, लिटिल सिंघम, टेडी बियर और अन्य कार्टून कैरेक्टर की राखियों की बहार है। इन राखियों की कीमत 50 से 500 रुपये तक है। इसके साथ ही रंग-बिरंगी लाइट वाली राखियां भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। बहनें छोटे भाइयों की पसंद को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग दुकानों पर जाकर उपयुक्त राखी की तलाश करती नजर आ रही हैं।

चांदी और ब्रेसलेट राखियों की भी मांग : परंपरागत राखियों के साथ इस बार चांदी की राखियों का क्रेज भी तेजी से बढ़ा है। ज्वैलर आयुष बताते हैं कि बाजार में 1000 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक की शुद्ध चांदी की राखियां उपलब्ध हैं। बहनों की मांग पर विशेष रूप से ब्रेसलेट-शैली की राखियां भी तैयार की जा रही हैं, जो आधुनिकता और परंपरा का सुंदर संगम प्रस्तुत कर रही हैं।

एक पर्व, कई रूप : रक्षाबंधन केवल एक राखी बांधने का त्यौहार नहीं है, बल्कि यह भाई-बहन के उस अटूट बंधन का उत्सव है, जिसमें प्यार, सुरक्षा, जिम्मेदारी और निष्ठा समाहित होती है। बदलते समय के साथ इस पर्व के स्वरूप में भी नयापन देखने को मिल रहा है, लेकिन इसकी आत्मा अब भी वैसी ही पवित्र और भावनात्मक बनी हुई है।

इस वर्ष हापुड़ के बाजार न केवल रंग-बिरंगी राखियों से सजे हैं, बल्कि उनमें बहनों की भावनाएं, उम्मीदें और संस्कार भी परिलक्षित हो रहे हैं। रक्षाबंधन न केवल एक त्योहार है, बल्कि यह हमारी संस्कृति का वह मजबूत स्तंभ है, जो भाई-बहन के रिश्ते को समय के साथ और अधिक सुदृढ़ करता है।

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