हमारे शहर में स्वच्छता अभियान केवल दिखावे तक ही सीमित रह गया है। नगर पालिका द्वारा प्रतिदिन कचरे का उठाव किया जा रहा है, लेकिन यह कार्य एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के स्पष्ट दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए किया जा रहा है। स्थिति यह है कि कचरा ढोने वाले वाहन खुले होते हैं, जिससे पूरे रास्ते में कूड़े की बदबू और गंदगी फैलती है।
जहाँ एक ओर सरकार "स्वच्छ भारत" जैसे अभियानों पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी स्तर पर जिम्मेदार संस्थाएँ ही नियमों की धज्जियाँ उड़ा रही हैं। एनजीटी के नियमों के अनुसार कचरे को ढके हुए वाहनों से ले जाना अनिवार्य है, ताकि पर्यावरण प्रदूषण को रोका जा सके। परंतु हमारे नगर में यह नियम पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।
खुले ट्रॉली या डंपर से कूड़ा उठाकर मुख्य मार्गों से गुजारा जाता है, जिससे राह चलते लोगों को दुर्गंध और उड़ती धूल का सामना करना पड़ता है। गीले कचरे का रस सड़क पर टपकता रहता है, जो न केवल बदबू फैलाता है बल्कि मच्छरों और संक्रमण का कारण भी बनता है। इससे डेंगू, मलेरिया और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
नगर पालिका के अधिकारियों से कई बार शिकायत की जा चुकी है, परंतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। यह घोर लापरवाही है और आम जनता के स्वास्थ्य के साथ सीधा खिलवाड़ है।