श्रावण महीने के सोमवार का क्या है रहस्य?

विनोद कुमार झा

श्रावण मास हिन्दू पंचांग का वह पवित्र महीना है, जिसमें आस्था, उपासना और आत्मिक साधना अपने चरम पर होती है। भगवान शिव का यह प्रिय मास स्वयं शिवतत्त्व से ओत-प्रोत होता है। वर्षा ऋतु की यह बेला, जब आकाश से अमृत तुल्य जल बरसता है, शिवभक्त उस जल को पवित्र नदियों – गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा और सरस्वती – से एकत्र कर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। यह अभिषेक केवल अनुष्ठान नहीं, अपितु आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार है। इस महीने में पड़ने वाले सोमवार का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि सावन के सोमवार को भगवान शिव की आराधना और उपासना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है।

शिवपुराण में वर्णित है कि श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को यदि भक्त पवित्र जल से शिवलिंग का अभिषेक करे और 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करे, तो उसके समस्त पाप कटते हैं और उसे दुर्लभ पुण्य की प्राप्ति होती है। कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय शिव ने जब विषपान किया, तो देवताओं ने उन्हें शीतलता देने के लिए गंगाजल अर्पित किया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि श्रावण में गंगाजल से जलाभिषेक किया जाए।

श्रावण सोमवार का महत्व

भगवान शिव को प्रिय: पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए श्रावण मास में कठोर तपस्या और व्रत रखा था, जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए थे। इसलिए यह महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है।

समुद्र मंथन: समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था, जिससे उनके शरीर का ताप बढ़ गया था। इस ताप को कम करने के लिए देवताओं ने उन पर जल बरसाया था, जिससे उन्हें शीतलता मिली थी। श्रावण मास में वर्षा होती है, इसलिए यह महीना भगवान शिव को अत्यंत पसंद है।

चंद्रमा और शिव का संबंध: सोमवार का दिन चंद्र ग्रह का होता है और चंद्रमा के नियंत्रक भगवान शिव होते हैं। इस दिन पूजा करने से न केवल चंद्रमा बल्कि भगवान शिव की कृपा भी मिलती है।

मनोकामना पूर्ति: जो व्यक्ति श्रावण में श्रद्धापूर्वक भगवान शिव की पूजा करता है, उसके जीवन से दुख-दरिद्रता दूर हो जाती है। सुखद वैवाहिक जीवन और संतान सुख का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

अकाल मृत्यु से मुक्ति: श्रावण सोमवार का व्रत करने से अकाल मृत्यु और दुर्घटना के भय से मुक्ति मिलती है।

श्रावण सोमवार के दिन भगवान शिव के साथ-साथ मां गौरी की भी पूजा करनी चाहिए। इस दिन जप, तप और ध्यान करना बहुत शुभ माना जाता है।

श्रावण सोमवार की तिथियाँ, नक्षत्र व मुहूर्त (2025):

1. प्रथम सोमवार — 14 जुलाई 2025

🔸 तिथि: श्रावण शुक्ल पूर्णिमा

🔸 नक्षत्र: उत्तराषाढ़ा

🔸 सर्वोत्तम अभिषेक मुहूर्त: प्रातः 05:56 से 08:22 तक

2. द्वितीय सोमवार — 21 जुलाई 2025

🔸 तिथि: श्रावण कृष्ण षष्ठी

🔸 नक्षत्र: रेवती

🔸 सर्वोत्तम अभिषेक मुहूर्त: प्रातः 06:04 से 08:35 तक

3. तृतीय सोमवार — 28 जुलाई 2025

🔸 तिथि: श्रावण कृष्ण त्रयोदशी

🔸 नक्षत्र: पुनर्वसु

🔸 सर्वोत्तम अभिषेक मुहूर्त: प्रातः 06:10 से 08:40 तक

3. चतुर्थ सोमवार — 04 अगस्त 2025

🔸 तिथि: श्रावण शुक्ल पक्ष दशमी त्रयोदशी

🔸 नक्षत्र: अनुराधा 

🔸 सर्वोत्तम अभिषेक मुहूर्त: प्रातः 06:10 से 11:39 तक

श्रावण सोमवार के दिन भारत के प्रमुख शिवधामों में – काशी विश्वनाथ (वाराणसी), बाबा वैद्यनाथ (देवघर), सोमनाथ (गुजरात), महाकालेश्वर (उज्जैन), त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र) और केदारनाथ (उत्तराखंड) – लाखों श्रद्धालु गंगाजल लेकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। कांवड़ यात्रा इस श्रद्धा की ऊँचाई का प्रतिक है, जिसमें भक्त सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर जल चढ़ाते हैं।

पवित्र नदियों का जल केवल भौतिक जल नहीं, वह मन, वाणी और कर्म की पवित्रता का प्रतीक है। जब वह जल शिवलिंग पर चढ़ता है, तो वह मानो हमारे सारे दुष्कर्मों, पापों और दोषों को हर लेता है।

श्रावण के सोमवार केवल तिथियाँ नहीं, ये धर्म, कर्म, तप और भक्ति के चार पायदान हैं। यह चार दिव्य सीढ़ियाँ हैं, जो सीधे शिव के हृदय तक पहुंचाती हैं। इन सोमवारों में शिव का जलाभिषेक करना आत्मा की ऊर्ध्वगति का उपाय है। यह रहस्य उन भक्तों के लिए अनमोल है, जो संसार से ऊपर उठकर भगवान शिव की कृपा को पाने की सच्ची लालसा रखते हैं।  जिसमें हर सोमवार एक-एक चरण बनकर उसे प्रभु के साक्षात् अनुभव तक ले जाते हैं। श्रद्धा की धार से जब जल शिवलिंग पर गिरता है, तब केवल अभिषेक नहीं होता एक भक्त का हृदय शिव में विलीन होता है।

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