Ramayan: प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण ने क्यों किया विराध राक्षस का वध?

विनोद kumar झा

नमस्कार! आप देख रहे हैं हमारी विशेष प्रस्तुति। आज हम बात करेंगे प्रभु श्रीराम और विराध नामक भयंकर राक्षस का अंत के बारे में यह कथा रामायण के उस महत्वपूर्ण क्षण की है, जब प्रभू श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण जी के वनवास से जूडी है। त्रेता युग की यह घटना दंडकारण्य के घने जंगलों में घटित हुई, जब भगवान श्रीराम अपने वनवास के दौरान माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वहां से गुजर रहे थे। इस क्षेत्र में "विराध" नामक भयंकर राक्षस का आतंक फैला हुआ था। वह ऋषि-मुनियों की यज्ञ-विधि को बाधित करता, उन्हें कष्ट पहुंचाता और साधारण वनवासियों को अपना शिकार बनाता था।  

विराध पूर्व जन्म में एक गंधर्व था, जिसे श्राप के कारण राक्षस योनि में जन्म लेना पड़ा। उसे श्राप के अनुसार, तब तक मुक्ति नहीं मिल सकती थी जब तक कि भगवान श्रीराम उसे मारकर धरती में नहीं गाड़ देते।  

एक दिन जब श्रीराम, सीता और लक्ष्मण जंगल में विश्राम कर रहे थे, तब विराध उनकी ओर बढ़ा। उसकी दृष्टि माता सीता पर पड़ी, और उसने उन्हें बलपूर्वक अपहरण करने का प्रयास किया। यह देखकर श्रीराम और लक्ष्मण क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने धनुष-बाण उठाकर उसे चुनौती दी।  

विराध अत्यंत बलशाली था और उसने अपने विशालकाय शरीर और क्रूर शक्ति से श्रीराम और लक्ष्मण को चुनौती दी। हालांकि, भगवान राम और लक्ष्मण ने अपने कौशल और रणनीति से उसे परास्त कर दिया। उन्होंने अपने बाणों से उसे गंभीर रूप से घायल किया, लेकिन श्राप के कारण बाणों से उसकी मृत्यु नहीं हो सकती थी। तब श्रीराम और लक्ष्मण ने मिलकर धरती में एक गहरा गड्ढा खोदा और उसे उसमें डालकर उसे श्राप से मुक्ति दिलाई।  

गड्ढे में गिरते ही विराध ने अपने पिछले जन्म की यादें ताजा कीं और श्रीराम को पहचानते हुए उनकी जय-जयकार की। उसने अपने पापों के लिए क्षमा मांगी और अपने गंधर्व रूप में लौटकर भगवान का आभार व्यक्त किया।  प्रभू श्रीराम और लक्ष्मण ने न केवल विराध का अंत किया, बल्कि उसके श्राप से भी मुक्ति दिलाई। यह कथा धर्म, सत्य और पराक्रम की अद्भुत मिसाल है।   शसच्चे नायक वही होते हैं, जो न केवल अपने शत्रुओं का अंत करते हैं, बल्कि उन्हें मोक्ष भी प्रदान करते हैं। भगवान श्रीराम का यह कार्य हमें सिखाता है कि धर्म के मार्ग पर चलते हुए किसी भी संकट का सामना किया जा सकता है। 

 ऐसे और भी ऐतिहासिक और धार्मिक प्रसंगों की जानकारी के लिए देखते रहिए हमारी विशेष प्रस्तुति। धन्यवाद!"

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