Ramayan history: वानरराज वाली: रामायण के अद्भुत पात्र का वास्तविक कथाएं

विनोद kumar झा

रामायण के अनुसार, वाली का पराक्रम उसकी शारीरिक शक्ति और युद्धकौशल का परिणाम था, न कि किसी अलौकिक शक्ति का। परंतु उनकी कहानी को समझने के लिए मूल ग्रंथ को पढ़ना आवश्यक है।


रामायण में वर्णित कथा के अनुसार वानरराज वाली रामायण के किष्किंधा कांड के मुख्य पात्रों में से एक हैं। उनके बारे में अक्सर कई चमत्कारी कहानियां प्रचलित हैं, परंतु वाल्मीकि रामायण में उनके चरित्र का वर्णन अपेक्षाकृत संक्षिप्त है। वाल्मीकि रामायण में वाली का पहला उल्लेख किष्किंधा कांड के चौथे सर्ग में होता है। इस प्रसंग में हनुमान जी, भगवान श्रीराम और लक्ष्मण जी को सुग्रीव की दुर्दशा के बारे में बताते हैं। सुग्रीव श्रीराम को समझाते हैं कि कैसे वाली ने उन्हें राज्य से निष्कासित कर दिया, उनकी पत्नी को छीन लिया, और उनके समर्थकों को कैद में डाल दिया। सुग्रीव का यह वर्णन उनके और वाली के बीच के वैमनस्य की पृष्ठभूमि को स्पष्ट करता है।  

 सुग्रीव-वाली विवाद की कथा  : सुग्रीव के अनुसार, उनके और वाली के बीच का संघर्ष मायावी नामक दानव से आरंभ हुआ। मायावी ने वाली को युद्ध के लिए ललकारा। जब वाली उसका पीछा करते हुए एक गुफा में गया, सुग्रीव द्वार पर इंतजार करते रहे। जब एक वर्ष तक वाली बाहर नहीं आया और गुफा से रक्त बहने लगा, तो सुग्रीव ने सोचा कि वाली मारे गए हैं। उन्होंने गुफा का द्वार बंद कर दिया और शोकग्रस्त होकर किष्किंधा लौट आए। मंत्रियों ने सुग्रीव का राज्याभिषेक कर दिया। 

जब वाली वापस लौटा और सुग्रीव को राजा के रूप में देखा, तो उसे क्रोध आया। उसने सुग्रीव पर विश्वासघात का आरोप लगाया और उन्हें राज्य से निष्कासित कर दिया। सुग्रीव ने ऋष्यमूक पर्वत पर शरण ली क्योंकि महर्षि मातंग के श्राप के कारण वाली वहां नहीं आ सकता था।  

 वाली की शक्ति का वर्णन  : सुग्रीव ने श्रीराम को वाली के अतुलनीय पराक्रम के बारे में बताया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि श्रीराम इन सात सालवृक्षों में से किसी एक को भेद दें, तो उन्हें विश्वास हो जाएगा कि श्रीराम वाली का वध कर सकते हैं। श्रीराम ने अपने बाण से सभी सात सालवृक्षों को भेद दिया, जिससे सुग्रीव का संदेह दूर हुआ।  

 वाली का वध  : इसके बाद श्रीराम ने सुग्रीव को वाली को युद्ध के लिए ललकारने को कहा। जब वाली बाहर आया, तो दोनों भाइयों में घोर युद्ध हुआ। इस बार, श्रीराम ने सुग्रीव को पहचानने के लिए उसे एक माला पहनाई। युद्ध के दौरान, श्रीराम ने अपने अमोघ बाण से वाली का वध किया।  

वाल्मीकि रामायण में वाली के चरित्र का यही मुख्य वर्णन है। तारा के विलाप, अंगद को संरक्षण में लेने और वाली की अंतिम इच्छा को स्वीकार करने के प्रसंग भी महत्वपूर्ण हैं।  

 वाली और रावण की कथा  : उत्तर कांड में एक अन्य प्रसंग मिलता है, जिसमें रावण वाली को युद्ध के लिए ललकारता है। वाली रावण को अपनी कांख में दबाकर चारों सागरों की परिक्रमा करते हैं। अपनी पराजय से लज्जित होकर रावण वाली से मित्रता कर लेता है।  

 भ्रमित करने वाली कथाएं  : वाल्मीकि रामायण में यह कहीं नहीं बताया गया है कि वाली से लड़ने वाले का आधा बल वाली को मिल जाता था। यह पूरी तरह से एक दंतकथा है। रामायण के अनुसार, वाली का पराक्रम उसकी शारीरिक शक्ति और युद्धकौशल का परिणाम था, न कि किसी अलौकिक शक्ति का।

(साभार रामायण)


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