Pauranik Katha: #अजामिल की कथा: पाप और उद्धार की अद्भुत गाथा

विनोद kumar झा

"चाहे जीवन कितना भी पापमय क्यों न हो, भगवान का नाम और सच्चे हृदय से की गई प्रार्थना हर पाप को हरने की शक्ति रखती है। साथ ही, धर्म और सत्य के मार्ग पर चलकर ही जीवन का वास्तविक उद्धार संभव है।"

प्राचीन काल  की बात है एक ब्राह्मण अजामिल थे, जो कभी अपने आचरण और धर्मपरायणता के लिए प्रसिद्ध थे, पाप के मार्ग पर भटक गए। उन्होंने अपनी साध्वी पत्नी और माता-पिता को त्याग दिया और एक कुलटा दासी को अपनी पत्नी बना लिया। अन्याय और अधर्म के मार्ग पर चलकर उन्होंने अपनी आजीविका चलाई। धर्म, आचार और संयम को भूलकर उनका जीवन पाप और मोह में डूब गया।  

पाप के जीवन में पुण्य की झलक  

इस पापमय जीवन में भी उनके पूर्व जन्म के पुण्य फलित हुए। उन्होंने अपनी सबसे छोटी संतान का नाम "नारायण" रखा। अपने छोटे पुत्र के प्रति उनका मोह अत्यधिक था। वे हर समय उसी के प्यार-दुलार में लगे रहते।  

मृत्यु का क्षण और भगवत्कृपा  

जब अजामिल के जीवन का अंत निकट आया, तो यमदूत उनका सूक्ष्म शरीर पकड़ने के लिए आए। भयभीत अजामिल ने कातर स्वर में अपने पुत्र "नारायण" को पुकारा। इस पुकार से भगवान नारायण के पार्षद तुरंत वहां पहुंचे और यमदूतों को दूर हटा दिया। यमदूत इस अद्भुत घटना से स्तब्ध रह गए।  

भगवत्पार्षदों ने अजामिल को समझाया कि भगवान का नाम जपने मात्र से उद्धार संभव है। इस घटना से अजामिल को आत्मबोध हुआ। उन्होंने अपने पापमय जीवन पर पश्चाताप किया और भगवत्-भजन में लीन हो गए। अंततः उनका उद्धार हुआ और उन्होंने परमधाम को प्राप्त किया।  



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