नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है। इनकी पूजा से जीवन में आ रहे सभी कष्ट और संकट दूर होते हैं, विशेषकर छात्रों के लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। उनकी कृपा से विद्यार्थियों को सफलता प्राप्त होती है। पूजा में मां को चीनी, मिश्री या पंचामृत का भोग लगाना चाहिए, जिससे वे प्रसन्न होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। वे भगवान शंकर को पति रूप में पाना चाहती थीं और नारदजी के मार्गदर्शन पर कठोर तपस्या की। 1,000 साल तक फल-फूल खाकर, 100 वर्षों तक जमीन पर रहकर, और फिर कई वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर उन्होंने तप किया। उनकी कठिन तपस्या से देवता प्रसन्न हुए और उन्हें मनोकामना पूर्ण होने का वरदान मिला। तप के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया।
पूजा विधि
- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए सबसे पहले स्नान कर सफेद वस्त्र धारण करें।
- मां की प्रतिमा का स्मरण करते हुए उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं और सफेद या पीले वस्त्र अर्पित करें।
- पूजा में रोली, अक्षत, चंदन और लाल फूल का प्रयोग करें।
- मां की आरती उतारें और भोग अर्पित करें।
- मां को चीनी या सफेद खाद्य पदार्थ का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे आयु में वृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
विशेष मान्यताएं
मां ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, परंतु उन्हें लाल रंग अत्यंत प्रिय है। साथ ही वट वृक्ष (बरगद) के फूल भी मां को अर्पित किए जाने चाहिए, जो उन्हें विशेष प्रिय होते हैं। मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से तप, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है।
जय माता दी!