विनोद कुमार झा
- जय माता दी...
- नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा की आराधना और उनकी कृपा प्राप्त करने का महत्वपूर्ण समय होता है।
- इस दौरान पूजन सामग्री, भोग, और पूजा की विधि का ध्यान रखते हुए पूरे मन और श्रद्धा से पूजा करनी चाहिए।
- मां दुर्गा की पूजा में शुद्धता, भक्ति, और समर्पण का होना अत्यावश्यक है, ताकि मां का आशीर्वाद प्राप्त हो और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास हो।
- 3 अक्टूबर को नवरात्रि का पहला दिन है, और अगले नौ दिनों तक मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। इस दौरान कई भक्त व्रत रखते हैं और मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजन सामग्री और भोग अर्पित करते हैं। यदि आप भी नवरात्रि के दौरान व्रत रखने और पूजा करने की योजना बना रहे हैं, तो यहां आपको उन सभी आवश्यक वस्तुओं और पूजन विधियों की जानकारी मिलेगी, जो नवरात्रि के दौरान जरूरी होती हैं। साथ ही, नौ दिनों तक मां दुर्गा को अर्पित किए जाने वाले भोग के बारे योग्य बातों को भी जानें।
नवरात्रि के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातें
1. सफाई और सजावट: नवरात्रि की शुरुआत से पहले घर की अच्छे से सफाई करें। मां दुर्गा के स्वागत के लिए घर के बाहर रंगोली बनाएं।
2. पूजन सामग्री : देवी पूजा के दौरान 16 श्रृंगार के सामान का विशेष महत्व होता है। पूजा में लाल चुनरी, लाल फूल, कुमकुम, सिंदूर, लाल चूड़ियां, बिंदी, और आभूषण रखना न भूलें। नवरात्रि के आखिरी दिन इन्हें किसी जरूरतमंद महिला को दान करना शुभ माना जाता है।
3. मंत्र जाप : पूजा करते समय "दुं दुर्गायै नमः" मंत्र का जाप करें। यह मंत्र मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है।
4. कन्या पूजन: नवरात्रि में छोटी कन्याओं की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही, जरूरतमंद कन्याओं की शिक्षा या अन्य आवश्यकताओं के लिए कुछ दान अवश्य करें।
नवरात्रि के नौ दिनों में भोग लगाने का महत्व
नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन मां दुर्गा के विभिन्न रूपों को अलग-अलग प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं। भोग लगाने के लिए सोना, चांदी, तांबा, या पीतल के बर्तनों का उपयोग करना चाहिए। मिट्टी या लकड़ी के बर्तन भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं, लेकिन एल्यूमीनियम, स्टील, या प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग वर्जित है। भोग अर्पित करने के बाद, उसे कुछ समय के लिए मंदिर में ही रहने दें।
नौ दिनों के विशेष भोग
पहले दिन (शैलपुत्री): मां को खीर का भोग लगाएं।
दूसरे दिन (ब्रह्मचारिणी) : मां को चीनी या चीनी से बनी मिठाई अर्पित करें।
तीसरे दिन (चंद्रघंटा) : मां को दूध या दूध से बनी मिठाई चढ़ाएं।
चौथे दिन (कूष्मांडा) : मां को मालपुआ का भोग लगाएं।
पांचवें दिन (स्कंदमाता) : मां को केले चढ़ाएं।
छठे दिन (कात्यायनी) : मां को पान और शहद का भोग लगाएं।
सातवें दिन (कालरात्रि) : मां को गुड़ से बनी चीजें अर्पित करें।
आठवें दिन (महागौरी) : मां को नारियल का भोग लगाएं।
नौवें दिन (सिद्धिदात्री) : मां को हलवा, पूरी, और चने का भोग लगाएं।
अगर न हो तो सामर्थ्य के अनुसार ही लगाएं मां को भोग
देवी-देवताओं को भोग हमेशा अपनी सुविधा और सामर्थ्य के अनुसार ही लगाना चाहिए। मां दुर्गा को पंचमेवा, घर की बनी मिठाई, बाजार से लाई मिठाई, या फिर बताशे का भोग भी चढ़ा सकते हैं। भोग अर्पित करते समय ध्यान रहे कि शक्कर बताशे के साथ फूल वाली लौंग का जोड़ा भी रखा जाए, जो पूजा को और अधिक फलदायक बनाता है।