कहते हैं, “कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों।”
इस कहावत को भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने रविवार को हकीकत में बदल दिया। टीम इंडिया ने अपने दमदार प्रदर्शन से इतिहास रचते हुए पहली बार महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप अपने नाम कर लिया।
फाइनल मुकाबला साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेला गया, जो रोमांच और जोश से भरपूर रहा। टॉस जीतकर दक्षिण अफ्रीका ने पहले गेंदबाजी का फैसला किया। भारत ने 50 ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर शानदार 298 रन बनाए और प्रोटियाज टीम को 299 रन का लक्ष्य दिया। जवाब में साउथ अफ्रीका की टीम 45.3 ओवर में 246 रन पर सिमट गई। इस तरह भारत ने यह ऐतिहासिक मुकाबला 52 रनों से जीतकर क्रिकेट के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम दर्ज करा लिया।
भारतीय टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर और सलामी बल्लेबाज स्मृति मंधाना ने शानदार अर्धशतक लगाकर टीम की जीत की नींव रखी। हरमनप्रीत ने अपनी कप्तानी में इस बार कोई कसर नहीं छोड़ी और विजयी छक्का लगाकर पूरे देश को जश्न में झूमने पर मजबूर कर दिया।
गेंदबाजी में रेणुका ठाकुर और दीप्ति शर्मा ने कमाल कर दिया। रेणुका ने चार विकेट झटके, जबकि दीप्ति ने तीन विकेट लेकर दक्षिण अफ्रीका की बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी। शुरुआती ओवरों में भारतीय गेंदबाजों की सटीक गेंदबाजी ने विपक्षी टीम को बैकफुट पर धकेल दिया और दबाव में डाल दिया।
2005 और 2017 के वर्ल्ड कप फाइनल में मिली हार के बाद भारतीय महिला टीम इस पल का इंतजार कर रही थी। आखिरकार 2025 में यह सपना साकार हुआ। कप्तान हरमनप्रीत कौर ने कहा —
“यह जीत सिर्फ हमारी नहीं, बल्कि पूरे भारत की है। आज हर बेटी को यह विश्वास होना चाहिए कि अगर हौसला बुलंद हो तो कोई मंज़िल दूर नहीं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भारतीय टीम को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर हार्दिक बधाई दी। देशभर में लोगों ने सड़कों पर उतरकर जश्न मनाया। आतिशबाजी, तिरंगे और खुशी से भरे नारों ने पूरे देश का माहौल देशभक्ति और गर्व से भर दिया।
भारत की यह जीत न केवल क्रिकेट के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ती है, बल्कि यह देश की बेटियों के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन गई है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने यह साबित कर दिया है कि अब कोई भी सपना बड़ा नहीं बस मेहनत और विश्वास की ज़रूरत है।

