"काली माय की जय” के जयकारों के साथ मां काली की प्रतिमा विसर्जन हुआ संपन्न

विनोद कुमार झा

चैनपुर। धार्मिक आस्था और परंपरा का संगम बना सहरसा जिले का चैनपुर गांव इस वर्ष भी काली पूजा मेला की भव्यता से सराबोर रहा। चार दिनों तक चले इस ऐतिहासिक मेले का आज मां काली की प्रतिमा के विसर्जन के साथ समापन हो गया। गांव की गलियों से लेकर मुख्य चौराहों तक श्रद्धा और भक्ति का ऐसा अद्भुत नजारा देखने को मिला कि हर कोई भाव-विभोर हो उठा।

मां काली की प्रतिमा का विसर्जन चैनपुर की धार्मिक परंपरा का सबसे खास और अनोखा क्षण माना जाता है। इस अद्वितीय विसर्जन को देखने के लिए न सिर्फ आसपास के ग्रामीण, बल्कि दूर-दराज़ के श्रद्धालु भी उमड़ पड़ते हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ में हर उम्र के लोगों के चेहरे पर मां के प्रति असीम भक्ति और प्रेम झलकता है।

गांव के प्रत्येक मार्ग पर “काली माय की जय” के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठता है। ढोल-नगाड़ों की थाप, शंखनाद की ध्वनि और भक्ति गीतों की गूंज से पूरा चैनपुर मानो देवीमय हो जाता है।

विसर्जन यात्रा के दौरान मां काली की प्रतिमा को बड़े ही श्रद्धाभाव और पारंपरिक विधि-विधान से विदा किया गया। भक्तजन मां को फूल, नारियल और दीप अर्पित करते हुए यह कामना करते हैं कि मां काली अगले वर्ष फिर से चैनपुर आकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाएं।

इस दौरान जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन भी पूरी तत्परता से मौजूद रहा। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस बल की विशेष तैनाती की गई थी ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। प्रशासन ने शांति और सौहार्दपूर्ण माहौल में विसर्जन कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न कराया।

मेले के समापन के साथ ही गांववासियों के दिलों में मां काली की स्मृतियाँ और उनके आशीर्वाद की गूंज देर तक बनी रही। चार दिनों तक चले इस पर्व ने न केवल धार्मिक भावना को मजबूत किया बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे का भी संदेश दिया।

काली माय की जय

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