पद्मनाथ द्वादशी व्रतविधि और कथा

विनोद कुमार झा

हिन्दू पंचांग अनुसार आश्विन मास की शुक्ल द्वादशी तिथि को यह व्रत किया जाता है। पद्मनाथ द्वादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन श्रीहरि विष्णु के पद्मनाथ स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से यह व्रत मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है।

 व्रत विधि : प्रातःकाल स्नान कर के भगवान विष्णु की स्वर्ण या तांबे की मूर्ति का पूजन करें।

भगवान को पद्म (कमल), तुलसी दल, फल, मिठाई, और पंचामृत से स्नान कराएँ।

“ॐ नमो भगवते पद्मनाथाय नमः” मंत्र का जाप करें।

दिनभर उपवास रखकर संध्या के समय भगवान विष्णु को दीपदान करें।

ब्राह्मणों को दान देकर भोजन कराएँ, फिर स्वयं भोजन करें।

पद्मनाथ द्वादशी व्रत कथा : प्राचीन काल में चंपकवन नामक नगरी में धर्मसेन नाम का एक राजा राज्य करता था। वह बड़ा धर्मात्मा और प्रजा पालक था। उसकी रानी बड़ी पतिव्रता और धार्मिक प्रवृत्ति की थी। परंतु राजा का पुत्र सुधन्वा विलासी, अहंकारी और नास्तिक प्रवृत्ति का था। उसे न तो देवताओं में श्रद्धा थी और न ही धर्म-कर्म में कोई रुचि।एक दिन वह राजमहल के बगीचे में घूम रहा था, तभी उसने देखा कि कुछ ब्राह्मण और गृहस्थ लोग कमल फूल लेकर पास के मंदिर की ओर जा रहे हैं। उसने पूछा –“तुम सब कहां जा रहे हो?”

ब्राह्मण बोले ,“राजकुमार! आज आश्विन शुक्ल द्वादशी है, जिसे पद्मनाथ द्वादशी कहते हैं। आज के दिन कमल पुष्पों से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इससे समस्त पाप नष्ट होते हैं।”

राजकुमार ने हँसते हुए कहा ,“क्या इन फूलों और मंत्रों से भी पाप मिटते हैं? कितना अंधविश्वास है!”इतना कहकर उसने उन ब्राह्मणों की हँसी उड़ाई और वहां से चला गया। रात को जब वह सोया तो स्वप्न में उसे एक भयंकर दृश्य दिखाई दिया  यमदूत उसके पास आकर उसे पकड़कर यमलोक की ओर ले जा रहे थे। वहां उसे भयावह यातनाएं दी गईं। वह डरकर कांप उठा और चिल्लाते हुए जाग गया।

सुबह वह अत्यंत व्याकुल होकर अपनी माता के पास पहुंचा और बोला ,“मां! मैंने बहुत भयानक सपना देखा। कृपया बताओ, इसका क्या अर्थ है?”

रानी ने कहा ,“पुत्र! तूने धर्म और भगवान का उपहास किया है। वही तेरा पाप तुझे स्वप्न में दिखाई दिया। अब तू प्रायश्चित स्वरूप पद्मनाथ द्वादशी व्रत कर।”मां के कहने पर सुधन्वा ने ब्राह्मणों को बुलाया, विधिवत व्रत किया, भगवान विष्णु का कमल पुष्पों से पूजन किया और दान दिया। इस व्रत के प्रभाव से उसका मन निर्मल हुआ, श्रद्धा जागी, और वह भगवान विष्णु का अनन्य भक्त बन गया।

 फलश्रुति : जो भक्त पद्मनाथ द्वादशी व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। उसे वैकुण्ठधाम की प्राप्ति होती है। दरिद्रता, रोग, और शोक समाप्त हो जाते हैं।परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

 व्रत मंत्र :ॐ नमो भगवते पद्मनाथाय नमः।

कहा गया है ,“जो व्यक्ति इस व्रत की कथा सुनता या सुनाता है, वह जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक को जाता है।”

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