“दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥”
अर्थात्: हे देवी ब्रह्मचारिणी! आपके करकमलों में अक्षय माल और कमंडल सुशोभित हैं।आपका स्वरूप तपस्या, साधना और ब्रह्मचर्य का प्रतीक है। हे अनुत्तमा (सर्वश्रेष्ठ) ब्रह्मचारिणी! कृपया मुझ पर प्रसन्न हों और मुझे संयम, ज्ञान, तपस्या तथा जीवन में सफलता का आशीर्वाद दें।
मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से साधक को कठोर तपस्या, धैर्य और आत्मसंयम की शक्ति प्राप्त होती है। जीवन में सफलता की कामना करने वाले भक्तों को इनकी उपासना विशेष फलदायी होती है।
जय मां ब्रह्मचारिणी
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