सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥


सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥

जो देवी सिंहासन पर विराजमान रहती हैं, जिनके दोनों करकमल सदा कमल-पुष्पों से सुशोभित रहते हैं, वे परम यशस्विनी माता स्कंदमाता हमें सदैव शुभफल प्रदान करें। इस श्लोक के माध्यम से भक्त माता से प्रार्थना करते हैं कि वे अपने वरदहस्त से जीवन में सुख, समृद्धि, यश और कल्याण प्रदान करें।

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