रक्षाबंधन त्योहार से जुड़ी प्रमुख धार्मिक कथाएँ (धार्मिक ग्रंथों के अनुसार)

विनोद कुमार झा

रक्षाबंधन का त्योहार भारत की समृद्ध संस्कृति और धार्मिक परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह केवल भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक नहीं, बल्कि सुरक्षा, विश्वास, धर्म और कर्तव्य की भावना को भी दर्शाता है। इस त्योहार से जुड़ी कई धार्मिक कथाएँ विभिन्न पुराणों और शास्त्रों में वर्णित हैं। नीचे रक्षाबंधन की कुछ प्रमुख धार्मिक कथाओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत है:

1. वामन अवतार और राजा बलि की कथा (भविष्य पुराण एवं विष्णु पुराण में वर्णित)

कथा सार: जब राजा बलि ने अपनी तपस्या और दान से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था, तब देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता की। भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण किया और बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। बलि ने वचन दे दिया। वामन ने तीन पगों में संपूर्ण पृथ्वी, आकाश और पाताल नाप लिया।

इस पर राजा बलि ने भगवान विष्णु से कहा कि आप मेरे वचन के साक्षी हैं, अब आप मेरे साथ पाताल में चलें। भगवान विष्णु बलि के साथ पाताल चले गए और वहां उसके द्वारपाल बने।

देवी लक्ष्मी को यह चिंता हुई कि भगवान विष्णु वैकुंठ छोड़कर पाताल में रह गए हैं। तब उन्होंने एक ब्राह्मण स्त्री का रूप धारण किया और राजा बलि से रक्षाबंधन के दिन राखी बांधी। बलि ने उपहार स्वरूप वर मांगने को कहा। लक्ष्मीजी ने भगवान विष्णु को मुक्त करने का वर मांगा। बलि ने वचन निभाया और भगवान विष्णु को मुक्त कर वैकुंठ लौटने दिया।

2. कृष्ण और द्रौपदी की कथा (महाभारत में वर्णित)

महाभारत में एक प्रसंग आता है जब भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया। उस समय कृष्ण के हाथ में खून निकल आया। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया।

कृष्ण ने भावविभोर होकर उसे वचन दिया:"यत्र यत्र रक्षार्थं, तत्र तत्र स्थापयाम्यहम्।" (अर्थात्, मैं तुझे हर परिस्थिति में रक्षा प्रदान करूंगा।) जब द्रौपदी का चीरहरण हुआ, तब श्रीकृष्ण ने इसी वचन को निभाते हुए उनकी लाज बचाई और अनंत वस्त्र प्रदान किए। यह कथा यह दर्शाती है कि रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के खून के संबंध तक सीमित नहीं, बल्कि स्नेह, कर्तव्य और आत्मीयता के बंधन का उत्सव है।

3. यम और यमुनाजी की कथा (स्कंद पुराण में वर्णित)

यमराज, जो मृत्यु के देवता हैं, को उनकी बहन यमुनाजी ने रक्षाबंधन के दिन अपने घर आमंत्रित किया। यमुनाजी ने यमराज की पूजा कर उन्हें राखी बांधी और दीर्घायु जीवन का आशीर्वाद दिया। यमराज इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने वचन दिया कि जो भी बहन इस दिन अपने भाई को राखी बांधेगी, उसका भाई दीर्घायु और सुखी रहेगा।

4. इंद्राणी और इंद्र देव की कथा (पद्म पुराण में वर्णित)

पद्मपुराण के अनुसार जब इंद्र देव और असुरों के बीच युद्ध हुआ, तब इंद्र देव पराजय के कगार पर पहुंच गए। इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने मंत्रों से युक्त रक्षासूत्र तैयार किया और युद्ध पर जाते समय इंद्र के दाहिने हाथ पर बांध दिया। इस रक्षा-सूत्र के प्रभाव से इंद्र देव को विजय प्राप्त हुई। 

5. संतोषी माता की कथा (लोककथा)

लोक विश्वास के अनुसार गणेश जी के दो पुत्र शुभ और लाभ को बहन नहीं थी। वे अपनी बहन की इच्छा व्यक्त करते हैं। तब गणेश जी ने ऋद्धि-सिद्धि की कृपा से संतोषी माता का प्रकट किया और रक्षाबंधन के दिन उन्हें बहन के रूप में स्वीकार किया गया। इसलिए कई स्थानों पर रक्षाबंधन के दिन संतोषी माता की पूजा भी की जाती है।

रक्षाबंधन केवल राखी बांधने का संस्कार नहीं, बल्कि धर्म, त्याग, कर्तव्य, श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है। यह त्योहार हमारी भारतीय संस्कृति में निहित “संबंधों की पवित्रता” और “रक्षा के व्रत” को पुनः स्मरण कराने का माध्यम है। इन धार्मिक कथाओं से यह स्पष्ट होता है कि रक्षाबंधन एक दिव्य परंपरा है, जिसमें सामाजिक और आध्यात्मिक दोनों ही मूल्य समाहित हैं।

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