संविधान की मर्यादा पर प्रहार करने वालों को जवाब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गया की जनसभा में जो कहा “हम संविधान की मर्यादा को तार-तार होते हुए नहीं देख सकते”  वह केवल बयान नहीं, बल्कि भ्रष्ट राजनीति पर सर्जिकल स्ट्राइक है। देश लंबे समय से उस विडंबना को झेल रहा है जहां जेल की सलाखों के पीछे बैठा नेता सरकार चला रहा था, फाइलों पर दस्तखत कर रहा था और सत्ता की मलाई काट रहा था। यह लोकतंत्र का मजाक नहीं तो और क्या है?

मोदी ने जो प्रस्ताव रखा  “अगर कोई जनप्रतिनिधि गिरफ्तार हो और 30 दिनों में जमानत न मिले, तो उसे कुर्सी छोड़नी होगी”  यह भ्रष्टाचार के गढ़ को हिलाने वाला कदम है। पर हैरानी की बात यह है कि इस जनहितकारी पहल का विरोध वही कर रहे हैं जो पारदर्शिता से सबसे ज्यादा डरते हैं। राजद, कांग्रेस और वामदल जैसे गठबंधन इस कानून से बौखला गए हैं। आखिर क्यों? क्या उन्हें डर है कि जेल से सरकार चलाने के उनके सपने अब चकनाचूर हो जाएंगे?

प्रधानमंत्री का यह संदेश विपक्ष के लिए साफ है  कुर्सी अपराधियों की शरणस्थली नहीं होगी। लोकतंत्र में जनता के भरोसे के साथ खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं होगा। विपक्ष बार-बार यह तर्क देता है कि यह कानून राजनीतिक बदले का हथियार बनेगा। लेकिन सवाल यह है कि निर्दोष होने का दावा करने वाले नेताओं को अदालत से राहत पाने में दिक्कत क्यों होनी चाहिए? सच यह है कि जो लोग कानून से डरते हैं, वही सबसे ज्यादा शोर मचाते हैं।

मोदी ने सिर्फ जवाबदेही की बात नहीं की, बल्कि घुसपैठियों पर भी सीधा वार किया। उत्तर 24 परगना की रैली में उनका यह ऐलान “यह देश अब घुसपैठियों को बर्दाश्त नहीं कर सकता”  राष्ट्र की सुरक्षा को लेकर उनकी प्रतिबद्धता का सबूत है। आज जब देश में घुसपैठ का खतरा बढ़ रहा है, तब भी कुछ दल वोट बैंक की राजनीति में उलझे हैं। सवाल यह है कि क्या सत्ता पाने के लिए देश की सुरक्षा को दांव पर लगाना मंजूर है?

मोदी के बिहार और बंगाल दौरों में सिर्फ राजनीतिक संदेश नहीं, विकास का बड़ा रोडमैप भी सामने आया  गंगा पर औंटा-सिमरिया पुल, अमृत भारत एक्सप्रेस, बौद्ध सर्किट ट्रेन, बक्सर थर्मल पावर प्लांट, कैंसर अस्पताल और कोलकाता में मेट्रो परियोजनाएं। ये योजनाएं बताती हैं कि मोदी की राजनीति सिर्फ भाषणों की नहीं, बल्कि जमीन पर काम की है। अब वक्त आ गया है कि विपक्ष यह तय करे क्या वह संविधान की मर्यादा बचाने के साथ खड़ा होगा या जेल से सरकार चलाने वालों की ढाल बना रहेगा? मोदी का यह कदम लोकतंत्र की गरिमा को पुनर्जीवित करने वाला है। देश को पारदर्शी शासन चाहिए, न कि अपराधियों की ढाल बनने वाले गठबंधन।

- संपादक

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